दिल्ली दंगे: पुलिस ने उमर खालिद की जमानत का विरोध किया, कहा लोकतंत्र अस्थिर करने की मंशा थी

दिल्ली दंगे: पुलिस ने उमर खालिद की जमानत का विरोध किया, कहा लोकतंत्र अस्थिर करने की मंशा थी

दिल्ली दंगे: पुलिस ने उमर खालिद की जमानत का विरोध किया, कहा लोकतंत्र अस्थिर करने की मंशा थी
Modified Date: November 29, 2022 / 07:53 pm IST
Published Date: January 11, 2022 5:31 pm IST

नयी दिल्ली, 11 जनवरी (भाषा) दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को दिल्ली दंगों के मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि दंगों की साजिश का मकसद आखिरकार भारत सरकार को ‘घुटनों पर लाना’ और लोकतंत्र की ‘बुनियाद को अस्थिर करना’ था।

खालिद और कई अन्य लोगों पर विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है और उन पर 2020 में हुए दंगों की साजिश रचने का आरोप है जिनमें 53 लोग मारे गये थे और 700 से ज्यादा लोग घायल हो गये।

उनकी जमानत अर्जियों पर पांच महीने से अधिक समय से बहस चल रही है।

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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष खालिद की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए विशेष सरकारी अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने जेएनयू के पूर्व छात्र नेता के इन दावों का विरोध किया कि जांच एजेंसी सांप्रदायिक है और दंगों की साजिश के मामले में आरोपपत्र ‘मनगढ़ंत’ है।

पुलिस की ओर से प्रसाद ने कहा, ‘‘आखिरकार मकसद सरकार को गिराना, संशोधित नागरिकता कानून पारित करने वाली संसद के अधिकारों को कमतर आंकना और इस लोकतंत्र की बुनियाद को ही अस्थिर करना था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार को घुटनों पर लाने और सीएए की वापसी के लिए दबाव बनाने की मंशा थी। यह बात मैं नहीं कह रहा। यह उस चैट के अंश से साबित होता है जिसमें साफ कहा जा रहा है कि सरकार को उसके घुटनों पर लाना होगा।’’

प्रसाद ने आरोपपत्र के हवाले से दावा किया कि 2020 के दंगे अचानक से उपजी हिंसा नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमने आरोपपत्र से दर्शाया है कि 23 प्रदर्शन स्थल बनाये गये। उनकी योजना सोच-समझकर तैयार की गयी और मस्जिदों की पास वाली जगहों को चिह्नित किया गया।’’

प्रसाद ने कहा कि प्रदर्शनों में महिलाओं का प्रभुत्व नहीं था, बल्कि वे पुरुषों द्वारा संचालित थे और प्रदर्शन स्थलों पर बाहर से महिलाओं को लाया जा रहा था।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने आरोपपत्र से यह भी दिखाया है कि दिसंबर 2019 के दंगों और फरवरी 2020 के दंगे में स्पष्ट रूप से तार जुड़े थे। एक ही तरह की अपराध की प्रवृत्ति नजर आई- सड़कों को अवरुद्ध करना, पुलिस पर हमले करना, संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना और जनता तथा पुलिस के साथ हिंसा।’’

प्रसाद ने कहा कि मामले में जांच से खुलासा हुआ है कि पुलिस कर्मियों, सरकारी कर्मचारियों और आम लोगों पर हमला करने और उन्हें मारने के लिए आग्नेयास्त्रों, पेट्रोल बम, तेजाब से हमलों, लाठियों, लोहे के सरियों, पत्थरों आदि का इस्तेमाल किया गया।

उन्होंने कहा कि खालिद ने अपनी जमानत अर्जी पर दलीलों के समय अपने वकील के माध्यम से ‘असंगत सामग्रियों’ पर ध्यान खींचकर अदालत के ध्यान को बांटने की कोशिश की।

एसपीपी ने कहा, ‘‘वह (खालिद) चाहता है कि उसकी अर्जी पर फैसला एक वेब सीरीज का संदर्भ लेते हुए हो और मौजूदा मामले की तुलना ‘द फैमिली मैन’ या ‘द ट्रायल ऑफ द शिकागो 7’ से की जाए। आपके पास कुछ पुख्ता है नहीं और आप असंगत सामग्री की ओर ध्यान खींचकर अदालत का ध्यान बांटना चाहते हो। आप मीडिया ट्रायल चाहते हो और सुर्खियों में आना चाहते हो।’’

खालिद ने तीन सितंबर, 2021 को वरिष्ठ वकील त्रिदीप पाइस के माध्यम से कहा था कि उसके खिलाफ आरोपपत्र ‘द फैमिली मैन’ जैसी किसी वेब सीरीज या टीवी समाचार की पटकथा की तरह हैं। उसने पुलिस पर निशाना साधने के लिए हैरी पॉटर के खलनायक पात्र वोल्डमॉर्ट का भी जिक्र किया था। नौ दिसंबर को उसने अदालत में ‘द ट्रायल ऑफ द शिकागो 7’ का जिक्र किया।

प्रसाद ने कहा, ‘‘जिन दंगों में 53 लोगों की जान चली गयी हो, उनकी तुलना किसी वेब सीरीज से करना दुर्भाग्यपूर्ण है।’’

उन्होंने खालिद के इन कथित दावों का भी विरोध किया कि जांच एजेंसी और जांच अधिकारी सांप्रदायिक हैं।

भाषा वैभव अनूप

अनूप


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