दिल्ली अनलॉक: कारखानों के मालिक पहले दिन श्रमिकों, कच्चे माल की कमी से परेशान रहे

दिल्ली अनलॉक: कारखानों के मालिक पहले दिन श्रमिकों, कच्चे माल की कमी से परेशान रहे

दिल्ली अनलॉक: कारखानों के मालिक पहले दिन श्रमिकों, कच्चे माल की कमी से परेशान रहे
Modified Date: November 29, 2022 / 08:41 pm IST
Published Date: May 31, 2021 1:22 pm IST

नयी दिल्ली, 31 मई (भाषा) दिल्ली में कोविड लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील दिये जाने के बीच कारखानों के मालिकों ने छह सप्ताह के बाद अपने प्रतिष्ठानों को खोला। इनमें से कई श्रमिकों और कच्चे माल की कमी से जूझ रहे हैं और उन्हें उत्पादन में आ रही कमी के कारण नुकसान की आशंका है।

कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली में 19 अप्रैल को लॉकडाउन लगाया गया था और छह सप्ताह के लॉकडाउन के बाद दिल्ली सरकार ने चरणबद्ध अनलॉक प्रक्रिया के तहत सोमवार से शहर में औद्योगिक इकाइयों और निर्माण कार्यों को अनुमति दी है।

हालांकि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के कारण कई श्रमिक अपने मूल स्थानों की ओर चले गये थे और कच्चे माल की आपूर्ति करने के लिए अभी बाजारों का खुलना बाकी है।

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मायापुरी औद्योगिक क्षेत्र में सहगल डोर्स के मालिक नीरज सहगल ने कहा, ‘‘हम केवल कारखाने में आये हैं। कोई रास्ता नहीं है जिससे हम काम शुरू कर सकें।’’

सहगल ने कहा, ‘‘केवल 20 प्रतिशत श्रमिक यहां हैं और कोई कच्चा माल नहीं है क्योंकि सरकार ने ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग की अनुमति नहीं दी है, जो स्टील के दरवाजे बनाने के लिए आवश्यक है।’’

उद्योग नगर, पीरागढ़ी में एक अन्य उद्योगपति अशोक गुप्ता ने कहा कि उनके श्रमिक ई-पास नहीं मिलने के कारण फंस गये हैं।

गुप्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘श्रमिक उत्तर प्रदेश और बिहार में अपने घर से फोन करके पूछ रहे हैं कि क्या हमने ई-पास की व्यवस्था की है। हमें कोई पास नहीं मिल पा रहा है। पूरा ऑपरेशन बंद कर दिया गया है।’’

एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक पी के गुप्ता ने कहा कि श्रम ठेकेदारों से कहा गया है कि वे उन मजदूरों को वापस लाएं जो लॉकडाउन से पहले परियोजनाओं में काम कर रहे थे।

उपलब्ध मजदूरों की कम संख्या के अलावा, सामग्री की कम आपूर्ति से निर्माण गतिविधियां भी प्रभावित हुईं।

डीएलएफ के एक प्रवक्ता ने कहा कि उनके निर्माण भागीदार ‘‘साइट पर श्रमिकों की सुरक्षित वापसी के लिए हर संभव मदद कर रहे हैं।’’

भाषा

देवेंद्र उमा

उमा


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