Demand for carbon dating of 'Shivling' found in Gyanwide campus, the

ज्ञानव्यापी परिसर में मिले ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग कराने की मांग, ट्रस्ट ने कही ये बड़ी बात

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद में एक नई अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। इस याचिका में मांग की गई है कि मस्जिद में पाए गए 'शिवलिंग' की एएसआई से कार्बन डेटिंग कराई जानी चाहिए।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:56 PM IST, Published Date : July 18, 2022/12:18 pm IST

नई दिल्लीः  वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद में एक नई अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। इस याचिका में मांग की गई है कि मस्जिद में पाए गए ‘शिवलिंग’ की एएसआई से कार्बन डेटिंग कराई जानी चाहिए। इससे उसकी ऐतिहासिकता और प्रमाणिकता साबित हो सकेगी। 7 हिंदू महिलाओं की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि इसका ग्राउंड पेनिट्रेशन राडार सर्वे भी होना चाहिए। इस मामले की सुनवाई करते हुए पहले सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ज्ञानवापी में जहां से ‘शिवलिंग’ पाया गया है, उसकी सुरक्षा की जाए। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने मुस्लिम पक्ष को आदेश दिया था कि वह अगले आदेश तक किसी और स्थान पर वजू करे।

Read More: सावन महीने में नदी किनारे प्रकट हुए भगवान भोलेनाथ, दर्शन कर लोगों ने लिया आशीर्वाद 

एडवोकेट विष्णु जैन के जरिए महिलाओं ने याचिका दायर कर मांग की है कि वह श्री काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को आदेश दे कि वह ज्ञानवापी में मिले ‘शिवलिंग’ को ले ले। इसके अलावा पुराने मंदिर से सटी जमीन पर भी कब्जा ले। याचिका में कहा गया है कि वहां विराजमान शिवलिंग की कालगणना नहीं की जा सकती। उसके परिधि में आने वाली 5 कोस भूमि पर मंदिर का अधिकार है। याचिका दायर करने वाली महिलाओं में से एक एडवोकेट है, एक प्रोफेसर है और 5 सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। उन्होंने अपनी अर्जी में कहा कि ज्ञानवापी में मिले ‘शिवलिंग’ की ऐतिहासिकता का पता सिर्फ जीपीआर सर्वे और कार्बन डेटिंग से ही लगाया जा सकता है।

Read More:’बेटी पर बुरी आत्मा का साया है…’, झाड़ फूंक करने आए तांत्रिक ने मां के सा​मने ही बेटी के साथ किया ये काम

याचिका में कहा गया है कि पुराने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर उसे मस्जिद का स्वरूप दिया गया था। वह वक्फ की जमीन नहीं है। अर्जी में महिलाओं ने कहा कि ज्ञानवापी में मिला ‘शिवलिंग’ स्वयंभू यानी स्वयं अवतरित है, जबकि नए मंदिर परिसर में स्थापित शिवलिंग रानी अहिल्या बाई होलकर के दौर का है। यही नहीं उनका कहना है कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ऐक्ट, 1983 के तहत नए मंदिर परिसर के अलावा पुराने मंदिर का क्षेत्र भी आता है। इसका अर्थ यह है कि श्रद्धालु मुख्य परिसर में पूजा अर्चना करने के अलावा आसपास के मंदिरों, स्थापित प्रतिमाओं की भी पूजा कर सकते हैं।

Read More:भोलेनाथ के दरबार में जलाभिषेक के दौरान मची भगदड़, दो महिलाओं की मौत, कई घायल