विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक से राज्यों की स्वायत्तता को खतरा नहीं: धमेंद्र प्रधान
विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक से राज्यों की स्वायत्तता को खतरा नहीं: धमेंद्र प्रधान
नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को विपक्ष की इन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया कि विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक- 2025 से संस्थागत स्वायत्तता कमजोर होगी।
उन्होंने कहा कि राज्यों के पास वर्तमान में मौजूद समान शक्तियां बनी रहेंगी।
इससे पहले दिन में प्रधान ने इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी)के पास भेजे जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इस विधेयक में उच्च शिक्षा संस्थानों को विनियमित करने के लिए 13 सदस्यीय निकाय की स्थापना का प्रस्ताव है।
प्रधान ने यहां प्रेसवार्ता में कहा, ‘‘संस्थागत स्वायत्तता को कोई खतरा नहीं है और यदि विपक्ष को कुछ चिंताएं या गलतफहमियां हैं, तो उन्हें जेपीसी द्वारा दूर किया जा सकता है। राज्यों के पास जो शक्तियां हैं, वे यथावत रहेंगी।”
विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक-2025 का नाम पहले उच्च भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (एचईसीआई) विधेयक-2025 रखा गया था। विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप पेश किया गया है, जिसका उद्देश्य तीन मौजूदा नियामक निकायों – विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईटीसी) और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) – को एक एकीकृत आयोग में विलय करना है जिसे विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान कहा जाएगा।
फिलहाल भारत में गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा संस्थानों का विनियमन यूजीसी, तकनीकी शिक्षा का पर्यवेक्षण एआईसीटीई और शिक्षक शिक्षा का विनियमन एनसीटीई करती है। प्रस्तावित आयोग के अंतर्गत, भारत में विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) के विनियमन, प्रत्यायन और शैक्षणिक मानकों को सुनिश्चित करने के लिए तीन परिषदें होंगी।
विपक्ष के सदस्यों ने चिंता जताई है कि इससे संस्थागत स्वायत्तता कमजोर हो सकती है।
कांग्रेस के मनीष तिवारी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा था कि यह शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता का उल्लंघन करता है और उनकी स्वतंत्रता का क्षरण करता है। उन्होंने कहा कि इससे, राज्य कानून के तहत स्थापित शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता प्रभावित होगी।
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सांसद टी एम सेल्वगनापति ने दावा किया कि यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो केंद्र सरकार व्यावहारिक रूप से एकमात्र निर्णय लेने वाली संस्था बन जाएगी, जो संविधान की भावना के विरुद्ध है।
भाषा
राजकुमार धीरज
धीरज

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