दिव्यांगजनों की रिक्त सीटें नये सत्र में भरने के लिए कानून में संशोधन पर विचार करने का निर्देश

दिव्यांगजनों की रिक्त सीटें नये सत्र में भरने के लिए कानून में संशोधन पर विचार करने का निर्देश

दिव्यांगजनों की रिक्त सीटें नये सत्र में भरने के लिए कानून में संशोधन पर विचार करने का निर्देश
Modified Date: September 16, 2025 / 10:31 pm IST
Published Date: September 16, 2025 10:31 pm IST

नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को विधि आयोग को निर्देश दिया कि वह दिव्यांगता कानून में संशोधन पर विचार करे, ताकि उच्च शिक्षण संस्थानों में उन रिक्तियों को अगले शैक्षणिक वर्ष में भी भरा जा सके, जो प्रवेश के लिए मानक दिव्यांगता वाले व्यक्तियों की अनुपलब्धता के कारण रिक्त रह गई हैं।

मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि ऐसी सीटों को दिव्यांगजनों के लिए स्थानांतरित करने का प्रावधान दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने में काफी मददगार साबित होगा।

यह मुद्दा आयोग को भेजा गया, जो एक अध्ययन करेगा और कानून में उचित संशोधनों की सिफारिश करेगा।

 ⁠

पीठ ने कहा, ‘‘उच्च शिक्षण संस्थानों में उन सीटों को अगले शैक्षणिक वर्ष के लिए आगे बढ़ाने का प्रावधान, जो मानक दिव्यांगता वाले व्यक्तियों की अनुपलब्धता के कारण भरी नहीं जा सकतीं, और/या ऐसी सीटों को दिव्यांग व्यक्तियों के लिए स्थानांतरित करने का प्रावधान, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के उद्देश्यों और लक्ष्यों को पूरा करने में काफी मददगार साबित होगा।’’

अदालत ने कहा कि ‘‘अधिनियम की धारा 34 में निहित सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण प्रदान करने वाली योजना और धारा 32 में निहित उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की योजना के बीच एक विरोधाभास है।’’

पीठ ने कहा कि मानक दिव्यांगता वाले उपयुक्त व्यक्ति की अनुपलब्धता के कारण सार्वजनिक रोजगार के मामले में, रिक्ति को अगले वर्ष ले जाना था, जबकि अधिनियम की धारा 32 में ऐसा कोई प्रावधान मौजूद नहीं था।

याचिकाकर्ता जाह्न्वी नागपाल के अनुरोध के संबंध में, पीठ ने कहा कि यदि अदालत इसे स्वीकार कर लेती है, तो यह दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम की धारा 32 में कुछ ऐसा पढ़ने के समान होगा, जो ‘अन्यथा’ अनुपस्थित है।

पीठ ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार के लिए यह वक्त की दरकार है कि वह नागपाल द्वारा उठाए गए मुद्दों का समाधान करे ताकि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों को दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण के लिए ‘पूरी ताकत’ के साथ लागू किया जा सके।’’

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश


लेखक के बारे में