व्यवधान से जनता का विश्वास कमजोर होता है, विधायिका को बहस का केंद्र होना चाहिए: लोकसभा अध्यक्ष बिरला

व्यवधान से जनता का विश्वास कमजोर होता है, विधायिका को बहस का केंद्र होना चाहिए: लोकसभा अध्यक्ष बिरला

  •  
  • Publish Date - September 11, 2025 / 10:52 PM IST,
    Updated On - September 11, 2025 / 10:52 PM IST

बेंगलुरु, 11 सितंबर (भाषा) विधानमंडलों को बहस का केंद्र बनाने की पुरजोर वकालत करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बृहस्पतिवार को कहा कि बार-बार व्यवधान और नारेबाजी से जनता का विश्वास कमजोर होता है।

यहां 11वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ-भारत क्षेत्र (सीपीए) सम्मेलन को संबोधित करते हुए, बिरला ने जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे कई मुद्दों पर मतभेदों के बावजूद रचनात्मक बहस और चर्चा के माध्यम से संविधान सभा की भावना को पुनर्जीवित करें, जिसने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संविधान का निर्माण किया।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि हमारी बहसें रचनात्मक होंगी, तो हमारे कानून बेहतर होंगे। यदि कानून बेहतर होंगे, तो शासन मजबूत होगा। और यदि शासन मजबूत होगा, तो जनता का विश्वास अटूट रहेगा।’’

बिरला ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष यू. टी. खादर फरीद सहित अन्य की उपस्थिति में इस सम्मेलन का उद्घाटन किया।

तीन दिवसीय सम्मेलन का विषय ‘विधानसभाओं में वाद-विवाद और चर्चाएं, जनता का विश्वास जीतना और उनकी आकांक्षाओं की पूर्ति’ है।

बिरला ने कहा कि वाद-विवाद भारत की विधायिकाओं की आत्मा है क्योंकि यह पारदर्शिता सुनिश्चित करती है।

संसद के मानसून सत्र के लगभग ठप्प पड़ जाने की पृष्ठभूमि में, लोकसभा अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि विश्वास नारों से नहीं, बल्कि आचरण से बनता है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब सदस्य गरिमा के साथ बहस करते हैं, तो नागरिक गौरव महसूस करते हैं। जब सदस्य अपने क्षेत्र के मुद्दे उठाते हैं, तो लोगों को लगता है कि उनकी बात सुनी जा रही है। जब सदस्य तथ्यों और तर्कों के साथ कार्यपालिका से सवाल करते हैं, तो लोग सुरक्षित महसूस करते हैं।’’

भाषा शफीक देवेंद्र

देवेंद्र