दिव्यांग परिसम्पत्ति हैं, उत्तरदायित्व नहीं, कानून देता है भरोसा: न्यायालय

दिव्यांग परिसम्पत्ति हैं, उत्तरदायित्व नहीं, कानून देता है भरोसा: न्यायालय

दिव्यांग परिसम्पत्ति हैं, उत्तरदायित्व नहीं, कानून देता है भरोसा: न्यायालय
Modified Date: November 29, 2022 / 08:38 pm IST
Published Date: February 11, 2021 6:55 pm IST

नयी दिल्ली, 11 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 दिव्यांगों के अधिकारों पर ‘‘संवैधानिक प्रतिबद्धता की वैधानिक अभिव्यक्ति’’ है और यह उन्हें भरोसा देता है कि ‘‘वे परिसंपत्ति हैं, उत्तरदायित्व नहीं।’’

शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी एक महत्वपूर्ण फैसले में आयी जिसमें उसने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (एमएसजेई) को निर्देश दिया कि वह दिव्यांग व्यक्तियों को परीक्षा में लिखने के लिए एक सहायक की सुविधा का नियमन करने और उसके सुगम बनाने के लिए ‘‘उचित दिशानिर्देश’’ तैयार करे।

न्यायमूर्ति डी वाई चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि दिव्यांगों के अधिकारों को लेकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र संधि के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की थी और देश ने 2007 में इसका अनुमोदन किया था। इसके बाद दिव्यांगजन अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम, 2016 वजूद में आया।

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पीठ में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल थे। पीठ ने कहा, ‘‘यह (कानून) दिव्यांगों को एक ताकत देता है..। यह अधिनियम उन्हें बताता है कि वे परिसम्पत्ति हैं, वे मायने रखते हैं, वे उत्तरदायित्व नहीं हैं और यह भी कि वे हमें मजबूत बनाते हैं, कमजोर नहीं।’’

पीठ ने कहा कि संविधान के तहत निहित मौलिक अधिकारों में स्पष्ट रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को उसके सुरक्षात्मक दायरे में शामिल नहीं किया गया है। पीठ ने कहा कि हालांकि अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 अन्य लोगों की तरह ही दिव्यांगों को पूरी ताकत और शक्ति प्रदान करते हैं।

पीठ ने कहा कि जब सरकार आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 के तहत अपने सकारात्मक कर्तव्यों और दायित्वों की मान्यता में सिविल सेवा परीक्षा के दौरान एक परीक्षा लिखने वाले की सुविधा के लिए प्रावधान करती है, तो यह इसे एक उदारता प्रदान करना नहीं समझा जा सकता।

शीर्ष अदालत ने यूपीएससी और डीओपीटी को उनके इस रुख के लिए फटकार लगाई कि परीक्षा लिखने वाले की सुविधा केवल दृष्टि बाधित और मस्तिष्क पक्षाघात वाले व्यक्तियों जैसे दिव्यांगों को ही प्रदान की जा सकती है।

भाषा अमित मानसी नेत्रपाल आशीष

आशीष


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