तमिलनाडु में छात्र की मौत के बाद द्रमुक को कानून-व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए: अन्नाद्रमुक महासचिव

तमिलनाडु में छात्र की मौत के बाद द्रमुक को कानून-व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए: अन्नाद्रमुक महासचिव

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  • Publish Date - December 8, 2025 / 02:55 PM IST,
    Updated On - December 8, 2025 / 02:55 PM IST

चेन्नई, आठ दिसंबर (भाषा) ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने तंजावुर में छात्रों के हिंसक हमले में 12 वीं कक्षा के एक छात्र की मौत पर दुख व्यक्त किया और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन से आग्रह किया है कि वे कम से कम अपने शासन के अगले चार महीनों में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करें।

पट्टीश्वरम के एक सरकारी स्कूल में कक्षा 11 के छात्रों द्वारा हिंसक हमला किए जाने के बाद 12 वीं के छात्र की सात दिसंबर को मौत हो जाने की घटना का जिक्र करते हुए विपक्ष के नेता ने कहा कि शिक्षा से छात्रों में सुधार होना चाहिए।

पलानीस्वामी ने रविवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘लेकिन तमिलनाडु में स्टालिन के शासन में हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं…सरकार स्कूल में संघर्ष को रोकने में विफल रही, जिसके कारण हत्या हुई।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों से लेकर व्यापारियों, महिलाओं से लेकर युवाओं तक, राज्य में हर कोई मौजूदा द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) शासन के तहत हिंसा से प्रभावित है।

उन्होंने कहा, ‘‘कानून और व्यवस्था के ध्वस्त होने के कारण तमिलनाडु का पूरा विकास बाधित हो रहा है, जबकि मुख्यमंत्री आत्म-प्रचार में डूबे हुए हैं।’’ उन्होंने स्टालिन से आग्रह किया कि वह ‘अपने शासन के कम से कम अगले चार महीनों में कानून और व्यवस्था बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करें।’

इस घटना में शामिल लगभग 15 छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया था।

भाजपा प्रवक्ता नारायणन तिरुपति ने कहा कि यह ‘बेहद चिंताजनक बात है कि हाल के दिनों में स्कूली छात्रों के बीच दुश्मनी और झड़पें बढ़ रही हैं।’

उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि पूर्व में पाठ्यक्रम शिक्षण अच्छे चरित्र, अनुशासन, सम्मान, ईमानदारी और निष्ठा पर केंद्रित था। ये मूल्य सिखाने वाले शिक्षक अपनी ज़िम्मेदारी को पूरी तरह समझते थे और छात्रों के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

नारायणन ने आरोप लगाया, ‘‘लेकिन प्रगतिशीलता के नाम पर पाठ्यक्रम बदल दिया गया। आत्म-सम्मान के नाम पर अनुशासन नहीं सिखाया गया और अधिकारों के नाम पर सभी नियम-कायदों की धज्जियां उड़ा दी गईं। शिक्षक भर्ती में लापरवाही, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, अनियमितताएं और स्कूली शिक्षा विभाग में राजनीतिक हस्तक्षेप ने अगली पीढ़ी को बर्बाद कर दिया है।’’

भाषा यासिर नरेश

नरेश