नागपुर, आठ दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र विधानमंडल के अगले सत्र में राष्ट्र गीत वंदे मातरम पर चर्चा की जाएगी।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से कहा कि यह जरूरी है कि संसद में वंदे मातरम पर चर्चा हो।
उन्होंने कहा, ‘‘वंदे मातरम सिर्फ एक गीत नहीं है, बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रवाद का एक मंत्र है। यह वह महामंत्र है, जिसने इस देश के आम आदमी को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा। संसद में इस पर चर्चा होना जरूरी है, क्योंकि राष्ट्रगीत के 150 साल पूरे हो रहे हैं। मुझे बहुत खुशी है कि संसद में इस पर चर्चा हो रही है।’’
फडणवीस ने कहा, ‘‘आज हमने भी विधानसभा में वंदे मातरम गाया। हमारे अध्यक्ष ने कहा है कि अगले सत्र में सदन में वंदे मातरम पर चर्चा होगी।’’
महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन सत्र सोमवार को शुरू हुआ।
शिवसेना (उबाठा) नेता आदित्य ठाकरे के भाजपा द्वारा राष्ट्रगीत पर एक ‘प्रतिबंध लगाने’ संबंधी टिप्पणी को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में, फडणवीस ने कहा कि कांग्रेस ने ही यह आदेश देकर इसे सीमित कर दिया था कि केवल कुछ अंतरे ही गाये जाएंगे।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, ‘‘आदित्य ठाकरे ही हैं, जो रोज कांग्रेस के साथ घूमते हैं। उन्हें (इस मुद्दे पर) भाजपा से नहीं, बल्कि कांग्रेस से सवाल करना चाहिए। भाजपा के शासन में वंदे मातरम को केवल सम्मान मिला है और कोई प्रतिबंध नहीं था।’’
संसद में ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा के बारे में बात करते हुए ठाकरे ने यहां संवाददाताओं से कहा था कि भाजपा चुनावी उद्देश्यों के लिए राष्ट्र गीत और ‘जय हिंद’ जैसे नारों के साथ-साथ हिंदुत्व का भी दुरुपयोग करती है और बाद में उनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा देती है।
शिवसेना (उबाठा) नेता ठाकरे ने कहा, ‘अगर आप इस साल राज्यसभा की हैंडबुक देखें, तो उन्होंने सदन में ‘जय हिंद’ और ‘वंदे मातरम’ कहने पर पाबंदी लगा दी है।’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा में दावा किया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए मुस्लिम लीग के दबाव में वंदे मातरम के टुकड़े कर दिए गए और एक दिन पार्टी को भारत के बंटवारे के लिए भी झुकना पड़ा।
मोदी ने सदन में ‘‘राष्ट्र गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर चर्चा’’ की शुरुआत करते हुए 1975 में देश में लगाए गए आपातकाल का हवाला दिया और कहा कि जब राष्ट्र गीत के 100 वर्ष पूरे हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और संविधान का गला घोंट दिया गया था।
भाषा अमित दिलीप
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