डॉक्टरों को नाबालिग गर्भवती की पहचान पुलिस को भी बताने की जरूरत नहीं, न्यायालय का बड़ा फैसला |

डॉक्टरों को नाबालिग गर्भवती की पहचान पुलिस को भी बताने की जरूरत नहीं, न्यायालय का बड़ा फैसला

गाड़ी बुकिंग में देने से पहले जान लें ग्राहक का परिचय, वरना ऐसा हो सकता है अंजाम, हत्या के 5 आरोपी गिरफ्तार

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:29 PM IST, Published Date : October 1, 2022/12:34 am IST

Identity of pregnant minor : दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने गर्भ का चिकित्सकीय समापन (एमटीपी) अधिनियम का लाभ सहमति से यौन गतिविधि में शामिल होने वाले नाबालिगों को भी देते हुए कहा कि चिकित्सकों को इन नाबालिगों की पहचान स्थानीय पुलिस को बताने की आवश्यकता नहीं है।

उच्चतम न्यायालय ने गर्भ का चिकित्सकीय समापन (एमटीपी) अधिनियम के तहत विवाहित या अविवाहित सभी महिलाओं को गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक सुरक्षित एवं कानूनी रूप से गर्भपात कराने का अधिकार देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि उनके वैवाहिक होने या न होने के आधार पर कोई भी पक्षपात संवैधानिक रूप से सही नहीं है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि बलात्कार के अपराध की व्याख्या में वैवाहिक बलात्कार को भी शामिल किया जाए, ताकि एमटीपी अधिनियम का मकसद पूरा हो।

read more: जीवन साथी चुनते समय भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां, वरना जीवन भर पड़ेगा पछताना

न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की एक पीठ ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और एमटीपी अधिनियम दोनों का सामंजस्यपूर्ण ढंग से अध्ययन करना आवश्यक है कि नियम तीन बी (बी) का लाभ सहमति से यौन गतिविधि में शामिल 18 वर्ष से कम उम्र की सभी महिलाओं को दिया जाए।’’

पीठ ने कहा, ‘‘एमटीपी अधिनियम के संदर्भ में गर्भ के चिकित्सकीय समापन (का अधिकार) प्रदान करने के सीमित उद्देश्यों के लिए, हम स्पष्ट करते हैं कि आरएमपी (पंजीकृत चिकित्सक) को, केवल नाबालिग और नाबालिग के अभिभावक के अनुरोध पर, पॉक्सो कानून (स्थानीय पुलिस को सूचना देना) की धारा 19(एक) के तहत नाबालिग की पहचान और उसकी अन्य व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है। ’’

read more: India Legends vs Sri Lanka Legends Final 2022 : आज भारत और श्रीलंका खेलेंगे फाइनल मैच

पीठ ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम लैंगिक आधार पर तटस्थ है और 18 वर्ष से कम उम्र के सभी लोगों द्वारा यौन गतिविधि को अपराध घोषित करता है।

उसने कहा, ‘‘पॉक्सो अधिनियम के तहत, नाबालिगों के बीच संबंधों में तथ्यात्मक सहमति महत्वहीन है। पॉक्सो अधिनियम में निहित प्रतिबंध किशोरों को सहमति से यौन गतिविधि में शामिल होने से वास्तव में नहीं रोक पाता। हम इस सच्चाई को नकार नहीं सकते कि ऐसी गतिविधि जारी है और कभी-कभी इसके गर्भावस्था जैसे परिणाम सामने आते हैं।’’