कानूनी पेशे को सफलता का शॉर्टकट न मानें, अभ्यास करने वालों को मिलता है ईनाम: सीजेआई
कानूनी पेशे को सफलता का शॉर्टकट न मानें, अभ्यास करने वालों को मिलता है ईनाम: सीजेआई
चंडीगढ़, 28 दिसंबर (भाा) भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत ने रविवार को कहा कि कानूनी पेशे में उन लोगों को ईनाम मिलता है जो इसे सफलता का शॉर्टकट नहीं, बल्कि एक ऐसी कला मानते हैं, जिसे सावधानीपूर्वक सीखकर ईमानदारी के साथ अभ्यास करना होता है।
उन्होंने कहा कि कानून कोई तेज दौड़ नहीं है बल्कि एक लंबी और सोच-समझकर तय की जाने वाली यात्रा है।
सीजेआई डॉ. बी.आर. आंबेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, सोनीपत के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि युवा वकील ऐसे समय में इस पेशे में प्रवेश कर रहे हैं जब इसकी प्रासंगिकता पर कोई सवाल नहीं है, लेकिन तकनीकी बदलाव, आर्थिक जटिलताओं, अधिकारों के बढ़ते विमर्श और कड़ी सार्वजनिक निगरानी के कारण इसकी अपेक्षाएं काफी अधिक हैं।
उन्होंने कहा कि वकीलों से केवल प्रभावी ढंग से बहस करने की ही नहीं, बल्कि जिम्मेदारी के साथ सलाह देने की भी अपेक्षा की जाती है।
उन्होंने कहा, “इस पेशे में युवाओं से केवल अनुकूलन की नहीं, बल्कि मानकों को ऊंचा रखने की उम्मीद की जाती है। इसमें आपसे अपेक्षा की जाती है कि जहां विश्वास कमजोर पड़ा है वहां उसे बहाल करें, सिद्धांतों को नुकसान पहुंचाए बिना नया दृष्टिकोण अपनाएं और क्षमता तथा अंतरात्मा दोनों के साथ कानून का अभ्यास करें।”
उन्होंने कहा कि यह अपेक्षा कोई बोझ नहीं, बल्कि आप पर जताया गया विश्वास होता है।
सीजेआई ने कहा, “कानून उन लोगों को पुरस्कृत करता है जो इसे सफलता का शॉर्टकट नहीं, बल्कि एक ऐसी कला मानते हैं जिसे सावधानीपूर्वक सीखकर ईमानदारी के साथ अभ्यास करना होता है।”
उन्होंने कहा, “कानून कोई तेज दौड़ नहीं है। यह एक लंबी, सोच-समझकर तय की जाने वाली यात्रा है। जो लोग प्रतिबद्ध, जिज्ञासु और ईमानदार बने रहते हैं, वे अक्सर पाते हैं कि यह पेशा उन्हें पुरस्कृत करता है।”
भाषा जोहेब नरेश
नरेश

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