Badrinath Dham Door Open: वैदिक मंत्रोचारण के साथ खोले गए बद्रीनाथ धाम के कपाट, जय बद्री विशाल के उदघोष से गूंज उठी वादियां

Badrinath Dham Door Open: बद्रीनाथ धाम के कपाट आज से वैदिक मंत्रोचारण और जय बद्री विशाल के उदघोष के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं।

Badrinath Dham Door Open: वैदिक मंत्रोचारण के साथ खोले गए बद्रीनाथ धाम के कपाट, जय बद्री विशाल के उदघोष से गूंज उठी वादियां

Badrinath Dham Door Open/ Image Credit: ANI X Handle

Modified Date: May 4, 2025 / 07:01 am IST
Published Date: May 4, 2025 6:19 am IST
HIGHLIGHTS
  • बद्रीनाथ धाम के कपाट आज से वैदिक मंत्रोचारण और जय बद्री विशाल के उदघोष के साथ विधि-विधान से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं।
  • बद्रीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया है।
  • गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट पहले ही खुल चुके हैं।

चमोली: Badrinath Dham Door Open: चारधाम में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट आज से वैदिक मंत्रोचारण और जय बद्री विशाल के उदघोष के साथ विधि-विधान से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। बद्रीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया है। गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट पहले ही खुल चुके हैं। वहीं अब बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया है।

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दर्शन करने पहुंचे हजारों श्रद्धालु

बता दें कि, पहले दिन ही भगवान बद्रीनाथ के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हुए हैं। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग बद्रीनाथ दर्शन के लिए पहुंचे हैं। बद्रीनाथ मंदिर 25 क्विंवटल फूलों से सजा हुआ है। मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही भक्तों पर हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश की गई। यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

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शालीग्राम से बनी चतुर्भुज स्वरूप की होती है पूजा

आपको बता दें कि, बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है। बद्रीनाथ मंदिर मई महीने से नवंबर तक श्रद्धालुओं के लिए खुलता है। शीतकाल में मंदिर बंद रहता है और उस समय भगवान की पूजा जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में की जाती है। बद्रीनाथ धाम को भगवान विष्णु का निवास स्थान बताया जाता है। बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वतों के बीच में स्थित है। इतना ही नहीं बद्रीनाथ धाम को पृथ्वी का बैकुंठ भी कहा जाता है। यहां भगवान नारायण 6 माह निद्रा में रहते हैं और 6 माह जागते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु की शालीग्राम से बनी चतुर्भुज स्वरूप की पूजा की जाती है।


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