उच्च स्कूली कक्षाओं में पढ़ाई छोड़ने की दर चिंताजनक: अधिकारी
उच्च स्कूली कक्षाओं में पढ़ाई छोड़ने की दर चिंताजनक: अधिकारी
जयपुर, दो अगस्त (भाषा) केंद्र के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने शनिवार को कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कई शैक्षणिक सुधारों के बावजूद देश में विशेषकर माध्यमिक व उच्च माध्यमिक कक्षा के बच्चों को पढ़ाई छोड़ने यानी ‘ड्रॉप आउट’ से रोकना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है और उन्होंने इस स्थिति पर चिंता जताई।
वह जयपुर में ‘स्कून्यूज ग्लोबल एजुकेटर्स फेस्ट 2025’ में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने प्रारंभिक शिक्षा में उच्च नामांकन दर हासिल की है लेकिन दसवीं व बारहवीं कक्षा में स्कूल छोड़ने की दर चिंता का विषय बनी हुई है।’’
अधिक समावेशी स्कूल प्रणाली की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए संजय कुमार ने देश की शिक्षा संरचना में बदलाव की जरूरत पर बल दिया ताकि विद्यार्थी उच्च कक्षाओं तक की अपनी पढ़ाई पूरी करें।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रारंभिक शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 90 प्रतिशत है लेकिन नौ प्रतिशत बच्चे अब भी स्कूलों से बाहर हैं। दसवीं कक्षा तक जीईआर घटकर 78 प्रतिशत और बारहवीं कक्षा तक घटकर 58 प्रतिशत रह जाता है।’’
आंकड़ों के अनुसार देश में इस समय 14.7 लाख स्कूल हैं जिनमें 10.5 लाख सरकारी और 3.5 लाख निजी स्कूल हैं। लगभग 30,000 स्कूल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से, 3,000 आईसीएसई से, 700 कैम्ब्रिज से और 250 ‘इंटरनेशनल बैकलॉरिएट’ से संबद्ध हैं।
कुमार ने कहा कि कुछ इलाकों में स्कूलों तक सीमित पहुंच भी पढ़ाई छोड़ने का एक प्रमुख कारण है और उन्होंने इसके समाधान के लिए केंद्रित नीतिगत हस्तक्षेप का आह्वान किया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कम से कम पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई स्थानीय भाषा में होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘मातृभाषा-आधारित शिक्षा अधिक प्रभावी है, और अंग्रेजी को एक विषय के रूप में माना जाना चाहिए, न कि शिक्षण माध्यम के रूप में।’’
भाषा पृथ्वी खारी
खारी

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