नयी दिल्ली, 19 अप्रैल (भाषा) अगले महीने अपना 91वां जन्मदिन मनाने जा रहे एवं भारतीय पाठकों के सबसे प्रिय लेखकों में से एक रस्किन बांड का कहना है कि 70 वर्ष की उम्र को पार करने के बाद से हर गुजरते साल के साथ उन्हें जिंदगी में जीतने का अहसास हो रहा है।
शनिवार को जारी अपनी नवीनतम पुस्तक ‘अनदर डे इन लंढौर: लुकिंग आउट फ्रॉम माई विंडो’ में बांड ने कहा है कि 70 वर्ष की आयु के बाद व्यक्ति को अधिकार की भावना छोड़ देनी चाहिए।
बांड ने अपनी पुस्तक में लिखा, ‘‘ जब भी मैं अपने जीवन का एक साल पूरा करता हूं, तो मुझे ऐसा लगता है कि जैसे यह एक जीत है। सत्तर वर्ष की उम्र में आने के बाद से ही ऐसा ही होता रहा है। इससे पहले मैं वर्षों के बीतने पर इतना ध्यान नहीं देता था; वे ऐसी चीजें थीं जिनका मैं हकदार महसूस करता था। लेकिन सत्तर के बाद आप किसी भी चीज के हकदार नहीं रह जाते।’’
बांड का जन्म 19 मई, 1934 को कसौली में हुआ था। वह जामनगर, शिमला, नयी दिल्ली और देहरादून में पले-बढ़े हैं। ब्रिटेन में तीन साल बिताने के अलावा उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत में ही बिताया है।
इस महान कथाकार ने 500 से अधिक कृतियां रची हैं – जिनमें लघु कथाएं, निबंध और उपन्यास शामिल हैं।
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