जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में हिमनद झील के फटने से बाढ़ का खतरा : रिपोर्ट

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में हिमनद झील के फटने से बाढ़ का खतरा : रिपोर्ट

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  • Publish Date - August 31, 2025 / 07:47 PM IST,
    Updated On - August 31, 2025 / 07:47 PM IST

जम्मू, 31 अगस्त (भाषा) व्यापक जोखिम आकलन के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले पर हिमनद झील के फटने से बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इससे जीवन, बुनियादी ढांचे और नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर खतरा है।

किश्तवाड़ के लिए 2024-25 के जीएलओएफ (ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड) प्रबंधन योजना के अनुसार, पड्डर, मचैल, दच्छन, मारवाह और वारवान तहसीलें हिमनद झीलों के निकट हैं और इन्हें सबसे अधिक प्रभावित होने का खतरा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि किश्तवाड़ उच्च ऊंचाई राष्ट्रीय उद्यान सहित ये क्षेत्र अचानक बाढ़ के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बने हुए हैं।

इसमें आगाह किया गया है, ‘‘ये क्षेत्र हिमनद झीलों के निकट होने के कारण विशेष रूप से असुरक्षित हैं, जिससे अचानक बाढ़ आने की आशंका बनी रहती है, जिसका स्थानीय समुदायों, बुनियादी ढांचे और पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।’’

आकलन रिपोर्ट में कहा गया कि खबरा सैद्धांतिक नहीं है।

इसी साल 14 अगस्त को मचैल माता मंदिर के मार्ग में अंतिम मोटर योग्य पड़ाव, पद्दर तहसील के चिशोती गांव में बादल फटने से आई बाढ़ में 65 लोग मारे गए थे और 115 से अधिक घायल हुए थे।

रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि इन तहसीलों में सड़कें, स्कूल, अस्पताल और सरकारी भवन जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे ‘खतरे का सामना’ कर रहे हैं।

इसमें कहा गया, ‘‘मारवाह और वारवान तहसीलों को अक्सर उनकी दूरस्थता के कारण ‘छाया क्षेत्र’ के रूप में नामित किया जाता है, जहां निचली बस्तियां और कृषि समुदाय रहते हैं, जो सीमित आपदा तैयारी और आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताओं के कारण अत्यधिक असुरक्षित स्थिति का सामना करते हैं।’’

रिपोर्ट में कहा गया कि सीवीपीपीएल लिमिटेड के अंतर्गत आने वाली जलविद्युत परियोजनाएं, जिनमें पाकल दुल, किरू, क्वार और डांगदुरु शामिल हैं, भी उच्च जोखिम के प्रति संवेदनशील हैं। इसमें कहा गया, ‘‘बढ़ते जल स्तर या संभावित बांधों के टूटने से परियोजना के बुनियादी ढांचे को खतरा हो सकता है, संचालन बाधित हो सकता है और निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है।’’

इसमें हिमनद झील के फटने से बाढ़ के खतरे के कारण किश्तवाड़ जिले की चार तहसीलों में प्रमुख खतरों को उजागर किया गया है।

रिपोर्ट में महत्वपूर्ण पारिस्थितिक चिंताओं को भी रेखांकित किया गया है।

इसमें कहा गया, ‘‘बाढ़ के पानी के कारण स्थानीय जल स्रोतों का प्रदूषण जन स्वास्थ्य और पारिस्थितिक संतुलन को और अधिक प्रभावित कर सकता है।’’ साथ ही किश्तवाड़ उच्च ऊंचाई राष्ट्रीय उद्यान में संभावित आवास क्षति और जैव विविधता के खतरे की चेतावनी भी दी गई है।

दो झीलों – मुंदिकसर और हंगू – को उच्च जोखिम वाली श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है, जबकि पलटा पानी और एक अन्य अनाम झील को मध्यम जोखिम वाली श्रेणी में रखा गया है।

भाषा धीरज रंजन

रंजन