कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए श्रद्धालुओं ने सबरीमला पहाड़ी की चढ़ाई की, भगवान अयप्पा के दर्शन किए
कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए श्रद्धालुओं ने सबरीमला पहाड़ी की चढ़ाई की, भगवान अयप्पा के दर्शन किए
सबरीमला (केरल), 16 नवंबर (भाषा) केरल के सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में श्रद्धालुओं ने मास्क लगाने सहित कोविड-19 के तमाम दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए भगवान के दर्शन किए।
साल में दो महीने के लिए होने वाले तीर्थाटन मंडाला मकरविलक्कू के लिए सोमवार सुबह यह मंदिर खुला। कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के प्रकोप के बाद यहां यह पहला वार्षिक तीर्थाटन है। प्राधिकारियों ने प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या एक हजार और सप्ताहांत में दो हजार रखने का निर्णय किया है।
हालांकि ‘शन्निधानम’, मंदिर परिसर जहां मलयालम महीने ‘वृश्चिकम’ के पहले दिन भक्तों की भारी भीड़ दिखती थी, वहां आज कुछ ही श्रद्धालु नजर आए।
मंदिर अधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 मुक्त प्रमाणपत्र वाले श्रद्धालुओं को पम्पा से तड़के तीन बजे मंदिर के लिए चढ़ाई करने की इजाजत दी गई। पम्पा मंदिर के लिए चढ़ाई करने का आधार शिविर है।
यहां मंदिर का प्रबंधन संभालने वाले त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने बताया कि शुरुआती घंटों में रवाना होने वालों में पड़ोसी राज्यों के श्रद्धालु अधिक थे।
मास्क लगाए त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) के कर्मचारी और पुलिसकर्मी आधार शिविर से लेकर मंदिर परिसर तक इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि श्रद्धालु कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करें।
उन्होंने कहा कि अनुष्ठान की शुरुआत तन्त्री (प्रधान पुजारी) कांतारु राजीवरु द्वारा शन्निधानम में ‘अष्टद्रव्य महा गणपति होमम’ करने से हुई।
टीडीबी के एक अधिकारी ने बताया कि पहले दिन दोपहर तक लगभग 650 श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना की।
उन्होंने कहा कि दो भक्त सोमवार को संक्रमित पाए गए और उन्हें पास के कोनी में उपचार केंद्र भेजा गया।
अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘दोनों भक्तों में से एक केरल के पुनालुर और दूसरा चेन्नई का रहने वाला है। ये दोनों एक अन्य आधार शिविर नीलक्कल में स्वास्थ्य विभाग के जांच केंद्र पर जांच के दौरान कोविड-19 से पीड़ित पाए गए।’’
राज्य देवस्वोम मंत्री के. सुरेंद्रन ने कहा कि तीर्थयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए सुचारू दर्शन सुनिश्चित करने के लिए सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं।
उन्होंने विभिन्न सरकारी विभागों की समीक्षा बैठक में हिस्सा लेने के बाद शन्निधानम में संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोविड-19 मानकों के अनुपालन के तहत और केरल उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार व्यवस्था की गई है।’’
सुरेंद्रन ने सरकार द्वारा मंदिर परिसर और चढ़ाई मार्ग पर भौतिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए किए गए विभिन्न उपायों के बारे में बताते हुए कहा कि विभिन्न बिंदुओं पर फर्श के निशान बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए कदम उठाए गए हैं कि श्रद्धालु निर्देशों का पालन करें।
हालांकि मंदिर कल शाम खोला गया था, लेकिन रविवार को कोई विशेष पूजा नहीं हुई और भक्तों को केवल सोमवार सुबह ही परिसर के अंदर जाने की अनुमति दी गई।
मेलशांति एके सुधीर नम्बूदरी ने तंत्री (मुख्य पुजारी) कंडारारू राजीवरू की उपस्थिति में रविवार शाम गर्भ गृह के कपाट खोले थे और दीप प्रज्ज्वलित किया। इसके साथ ही 62 दिनों के वार्षिक उत्सव सत्र की शुरुआत हुई थी।
नवनिर्वाचित मेलशांति (दैनिक पूजा करने के लिए मुख्य पुजारी) वी.के. जयराज पोट्टी और मलिक्कापुरम के मेलशांति एम एन राजकुमार सबसे पहले मंदिर की पवित्र 18 सीढ़ियों पर चढ़कर गर्भ गृह में गए और पूजा अर्चना की। उन्होंने रविवार शाम को ही प्रभार संभाला था।
इस बार कोविड-19 की वजह से रोजाना केवल 1,000 तीर्थयात्रियों को ही मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी और उन्हें डिजिटल प्रणाली से दर्शन का समय आरक्षित कराना होगा।
इसके साथ ही श्रद्धालुओं को नीलक्कल और पम्बा के आधार शिविर पहुंचने से 48 घंटे पहले कोविड-19 जांच करानी होगी और संक्रमित नहीं होने का प्रमाणपत्र लाना होगा। श्रद्धालुओं को मंदिर में ठहरने की अनुमति नहीं होगी।
त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने कहा कि इस तीर्थ सत्र में करीब 85 हजार श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।
टीडीबी के मुताबिक शनिवार और रविवार को मंदिर में 2,000 श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी जाएगी।
कोविड-19 नियमों के तहत केवल 10 से 60 वर्ष उम्र के श्रद्धालुओं को ही इस बार दर्शन की अनुमति दी जाएगी। बता दें कि हर साल सबरीमला में लाखों श्रद्धालु दर्शन करते रहे हैं।
चौदह जनवरी को मकरविलक्कू अनुष्ठान के बाद, मंदिर 20 जनवरी को बंद कर दिया जाएगा।
भाषा. अमित नेत्रपाल
नेत्रपाल

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