अटल सुरंग के उद्घाटन के साथ ही पूरा हुआ पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के मित्र का सपना, 1998 में की गई थी टनल के निर्माण की मांग

अटल सुरंग के उद्घाटन के साथ ही पूरा हुआ पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के मित्र का सपना, 1998 में की गई थी टनल के निर्माण की मांग

अटल सुरंग के उद्घाटन के साथ ही पूरा हुआ पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के मित्र का सपना,  1998 में की गई थी टनल के निर्माण की मांग
Modified Date: November 29, 2022 / 08:49 pm IST
Published Date: October 3, 2020 9:40 am IST

थोलांग (हिमाचल प्रदेश), तीन अक्टूबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में अटल सुरंग के उद्घाटन के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मित्र अर्जुन गोपाल का दशकों पुराना सपना भी शनिवार को पूरा हो गया। अर्जुन गोपाल उर्फ ‘टशी दवा’ के बेटे अमर सिंह और राम देव ने उद्घाटन के बाद कहा कि उनके पिता ने पूर्व प्रधानमंत्री को इस सुरंग के निर्माण की सलाह दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और सभी मौसमों में इस्तेमाल की जा सकने वाली अटल सुरंग का शनिवार को उद्घाटन किया। इससे मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा समय में चार से पांच घंटे तक कमी आएगी।

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मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ने वाली 9.02 किलोमीटर लंबी अटल सुरंग दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। यह सुरंग मनाली को वर्ष भर लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी। इससे पहले भारी बर्फबारी की वजह से घाटी छह महीने तक देश के अन्य हिस्सों से कटी ही रहती थी। सामरिक रूप से महत्वपूर्ण यह सुरंग हिमालय की पीर पंजाल श्रृंखला में औसत समुद्र तल से 10,000 फीट की ऊंचाई पर अति-आधुनिक विशिष्टताओं के साथ बनाई गई है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इससे पहले कहा था, ” वाजपेयी को यहां सुरंग निर्माण का विचार लाहौल के तशी दोबहे गांव में रहनेवाले अर्जुन गोपाल से मिला था।”

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लाहौल-स्पीति जिले के अपने पैतृक गांव थोलांग में ‘पीटीआई-भाषा’ से 75 वर्षीय अमर सिंह ने कहा कि उनके पिता वाजपेयी से 1998 मिले थे। वह लाहौल-स्पीति जिले के लोगों के फायदे के लिए रोहतांग दर्रे के भीतर से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सुरंग के निर्माण की मांग करने के लिए मिले थे। उन्होंने कहा, ” मेरे पिता की मौत 2008 में हो गई। आज, उनका दशकों पुराना सपना पूरा हो गया और इस अवसर पर मेरी खुशी की कोई सीमा नहीं है।”

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उप निदेशक (शिक्षा) पद से सेवानिवृत्त हुए सिंह ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री और उनके पिता गुजरात के वडोदरा में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के पदाधिकारी प्रशिक्षण शिविर (ओटीसी) के दौरान 1942 में करीब आए थे। और जब 1998 में वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो उनके पिता ने आरएसएस के प्रमुख कार्यकर्ता चमन लाल के जरिए उनसे मुलाकात की।

सिंह ने कहा कि लाहौल-स्पीति-पांगी-जनजाति सेवा समिति’ का गठन उसके संस्थापक अध्यक्ष के रूप में गोपाल के साथ मिलकर सुरंग के निर्माण कार्य को कराने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि सुरंग के लिए जो मसौदा ज्ञापन वाजपेयी को सौंपा गया था, उसे उन्होंने रक्षा, वित्त और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालयों के पास भेजा था। सिंह ने दावा किया कि शुरुआत में रक्षा मंत्रालय ने इस पर आपत्ति भी जताई लेकिन केंद्र सरकार ने 2000 में इसके निर्माण को मंजूरी दे दी। उन्होंने कहा कि वाजपेयी ने खुद केलोंग में जून,2000 में एक जनसभा के दौरान इस परियोजना की घोषणा की थी।

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गोपाल के दूसरे बेटे 61 वर्षीय राम देव ने बताया कि सुरंग के खुलने से लाहौल-स्पीति जिले की आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव होगा। सिंह राज्य सूचना विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश सड़क यातायात निगम की बस में लाहौल के उत्तरी द्वार से कुल्लू जिले के मनाली में दक्षिणी द्वार की यात्रा भी की। इस बस को प्रधानमंत्री मोदी ने हरी झंडी दिखाई थी।

जनजातीय जिले के निवासियों ने भी इस सुरंग के निर्माण का स्वागत किया है। जिले की किर्टिंग गांव की रहनेवाली पुष्पा देवी कहती हैं कि अब किसी भी चिकित्सीय मदद के लिए अन्य जिलों में भागना नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पहले गर्भवती महिलाओं को बच्चे को सुरक्षित जन्म देने के लिए समय से पहले कुल्लू-मनाली जाना पड़ता था। गहर घाटी के संजय यारपा का कहना है कि पहले नाजुक हालत वाले मरीजों को कठिनाइयों का बेहद सामना करना पड़ता था क्योंकि ठंड के मौसम में यहां हेलीकॉप्टरों को उतरने में परेशानी होती थी और इस स्थिति में मरीज हवाई मार्ग के जरिए भी अस्पताल नहीं पहुंच पाते थे।

 


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com