जल जीवन मिशन के प्रदर्शन से लेकर ओबीसी पर नीति तक, संसदीय समितियां काम में जुट चुकी हैं

जल जीवन मिशन के प्रदर्शन से लेकर ओबीसी पर नीति तक, संसदीय समितियां काम में जुट चुकी हैं

जल जीवन मिशन के प्रदर्शन से लेकर ओबीसी पर नीति तक, संसदीय समितियां काम में जुट चुकी हैं
Modified Date: September 8, 2024 / 04:26 pm IST
Published Date: September 8, 2024 4:26 pm IST

नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) अपने गठन के कुछ सप्ताह बाद ही प्रमुख संसदीय समितियों ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए आरक्षण तथा जल जीवन मिशन के ऑडिट सहित कई मुद्दों पर बैठकें शुरू कर दी हैं।

लोक लेखा समिति (पीएसी), अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के कल्याण संबंधी समिति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कल्याण समिति सहित विभिन्न समितियां इस सप्ताह निर्धारित विषयों पर विमर्श के लिए बैठक कर रहे हैं।

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के अधिकारी सोमवार को ओबीसी के कल्याण संबंधी समिति के सदस्यों को केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों के तहत पदों और सेवाओं में समुदाय के लिए आरक्षण नीति के ‘निर्माण और कार्यान्वयन’ के बारे में जानकारी देंगे।

 ⁠

लोक लेखा समिति मंगलवार को जल शक्ति मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (जल जीवन मिशन) के प्रदर्शन ऑडिट पर विचार करेगी।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण संबंधी समिति बृहस्पतिवार को सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों में इन समुदायों के आरक्षण की स्थिति के मुद्दे पर विचार करेगी, जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए कॉरपोरेट-सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) नीति का कार्यान्वयन भी शामिल है।

समितियों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है और इसमें लोकसभा एवं राज्यसभा दोनों के सदस्य होते हैं। इनका चुनाव दोनों सदनों द्वारा किया जाता है।

पीएसी की अध्यक्षता आमतौर पर मुख्य विपक्षी दल के वरिष्ठ लोकसभा सदस्य द्वारा की जाती है।

अठारहवीं लोकसभा में समितियों का गठन आम सहमति से हुआ है, जबकि पिछली लोकसभा के दौरान समितियों के गठन के लिए चुनाव कराना पड़ा था।

भाषा सुरेश नरेश

नरेश


लेखक के बारे में