गहलोत ने स्कूल की किताब से मानगढ़ धाम का पाठ हटाने की आलोचना की

गहलोत ने स्कूल की किताब से मानगढ़ धाम का पाठ हटाने की आलोचना की

गहलोत ने स्कूल की किताब से मानगढ़ धाम का पाठ हटाने की आलोचना की
Modified Date: September 18, 2025 / 03:08 pm IST
Published Date: September 18, 2025 3:08 pm IST

जयपुर, 18 सितंबर (भाषा) राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चौथी कक्षा की किताब से मानगढ़ धाम से जुड़े पाठ को हटाने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की है। गहलोत ने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा को अपने इस कृत्य के लिए आदिवासी समाज से माफी मांगनी चाहिए और पाठ को फिर पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए।

गहलोत ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘जब से भाजपा राज्य में सरकार में आई है तब से आदिवासियों के योगदान को हर जगह कमतर दिखाने का प्रयास करती रही है। आदिवासी अस्मिता को लेकर भाजपा की तुच्छ मानसिकता का यह परिचायक है कि चौथी कक्षा की किताब से मानगढ़ धाम के इतिहास को हटा दिया गया है।’

उन्होंने संबंधित समाचार साझा करते हुए आरोप लगाया कि इससे पहले, शिक्षा की अलख जगाने वाली वीर कालीबाई का पाठ भी हटा दिया गया था।

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गहलोत ने लिखा, ‘‘भाजपा ने ठान लिया है कि वो आदिवासियों का बलिदान, उनकी गाथाएं लोगों की स्मृतियों से हटा कर ही मानेगी। लेकिन आदिवासी समाज का बलिदान इतना कमजोर नहीं है कि उसे किताबों से हटा कर भुलाया जा सके।’

उन्होंने कहा कि भाजपा को अपने इस कृत्य के लिए आदिवासी समाज से माफी मांगनी चाहिए एवं आदिवासी समाज की वीरगाथाओं एवं मानगढ़ धाम के इतिहास को पुनः पाठ्यक्रम में जोड़ना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 25 सितंबर को बांसवाड़ा में एक परमाणु ऊर्जा परियोजना की आधारशिला रखने वाले हैं। वह एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे। राजस्थान-गुजरात सीमा के पास बांसवाड़ा जिले में स्थित मानगढ़ धाम आदिवासी समुदाय, विशेषकर भीलों के लिए ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल है। 1913 में हुए नरसंहार के कारण इसे ‘राजस्थान का जलियांवाला बाग’ भी कहा जाता है।

यह स्थान समाज सुधारक और आदिवासी नेता गोविंद गुरु से जुड़ा है। उन्होंने ब्रिटिश शासन और स्थानीय शोषण के खिलाफ भीलों के बीच धार्मिक और सामाजिक जागृति आंदोलन ‘भगत आंदोलन’ का नेतृत्व किया था।

भाषा पृथ्वी

मनीषा अविनाश

अविनाश


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