गहलोत सरकार का पहला फैसला- पंचायत और निकाय चुनाव में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता खत्म
गहलोत सरकार का पहला फैसला- पंचायत और निकाय चुनाव में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता खत्म
जयपुर। राजस्थान में गहलोत सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में कई बड़े फैसले लिए हैं। गहलोत सरकार पिछली सरकार की योजनाओं समीक्षा करेगी। इसके साथ ही, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कांग्रेस की जिन योजनाओं को बंद किया था उन्हें फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया है। साथ ही, राजस्थान में पंचायती राज और स्थानीय निकाय चुनाव में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता खत्म कर दी गई है।
इसके अलावा पहली कैबिनेट बैठक में गहलोत सरकार ने डॉ भीमराव अंबेडकर विवि और हरिदेव जोशी पत्रकारिता विवि को फिर से शुरू करने की घोषणाअ की है। वसुंधरा सरकार ने इन दोनों विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया था। वहीं स्थानीय निकायों में मेयर, सभापति और चेयरमैन के चुनाव अब सीधे होंगे। साथ ही, पंचायती राज एवं स्थानीय निकाय चुनाव में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता खत्म कर दी गई है। पिछली वसुंधरा सरकार के इसके लिए शैक्षणिक योग्यता के मापदंड निर्धारित किए थे जिसमें आठवीं से लेकर 10वीं पास लोग ही चुनाव लड़ सकते थे। सरपंच, प्रधान और दूसरे स्थानीय निकायों के पदों के लिए आठवीं और दसवीं पास होना जरूरी था।
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कैबिनेट बैठक में वृद्धावस्था पेंशन योजना को 500 रुपए से बढ़ाकर 750 रुपए और 750 रुपए को बढ़ाकर 1000 रुपए कर दिया गया है। साथ ही, संविदा कर्मियों, एनआरएचएम, पारा शिक्षक, उर्दू पारा शिक्षक, लोक जुंबिश कर्मियों, आंगनबाड़ी, विद्यार्थी मित्रों, पंचायत सहायकों की समस्याओं को दूर करने के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है। राज्य सरकार ने सभी लेटरपैड से दीनदयाल उपाध्याय का लोगो खत्म कर दिया है।

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