Menstrual Leave: छात्राओं को पीरियड्स के दौरान मिलेगी छुट्टी, इस यूनिवर्सिटी ने लिया बड़ा फैसला, जानें क्या होंगे नियम…
Menstrual Leave in University: छात्राओं को पीरियड्स के दौरान मिलेगी छुट्टी, इस यूनिवर्सिटी ने लिया बड़ा फैसला, जानें क्या होंगे नियम...
Menstrual Leave in University
Menstrual Leave in University: चंडीगढ़। चंडीगढ़ स्थिति पंजाब यूनिवर्सिटी ने छात्राओं के हित में ऐतिहासिक फैसला लिया है। लंबे समय से यूनिवर्सिटी की छात्राएं मासिक धर्म के समय में अवकाश की मांग कर रही थीं। जिसके बाद नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने इसको लेकर एक आदेश पारित कर दिया है, अब छात्राओं को मासिक धर्म के समय अवकाश मिलेगा। हालांकि इसे लेकर विश्वविद्यालय के प्रशासन से कुछ शर्तें भी रखी हैं। बता दें कि शर्त यह है कि छात्राओं को छुट्टी इसी शर्त पर दी जाएगी। जब वे न्यूनतम 15 दिन पढ़ने के लिए आईं हों। नियमों के हिसाब से प्रति समेस्टर चार दिन की छुट्टी दी जाएगी।
छात्राओं को सेमेस्टर वाइस दी जाएगी छुट्टियां
वैसे मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पंजाब यूनिवर्सिटी में एक सेमेस्टर में छात्राओं को चार मासिक धर्म अवकाश मिलेंगे। इस योजना के तहत एक माह में एक मासिक धर्म अवकाश लड़कियां ले सकेंगी। इस फैसले पर पंजाब यूनिवर्सिटी प्रबंधन की ओर से मुहर लग गई है। यह लीव सेशन 2024-25 से दी जाएगी। लड़कियां एक वर्ष के सेशन यानि दो सेमेस्टर में कुल 8 लीव ले सकेंगी।
यह नोटिफिकेशन पंजाब यूनिवर्सिटी प्रबंधन की ओर से चेयरपर्सन, डायरेक्टर, कोआर्डीनेटरस ऑफ डिर्पाटमेंटल इंस्टीच्यूट सेंटर एंड रूरल सेंटर को भेज दिया गया है। हर माह में 15 दिन के टीचिंग कलैंडर में एक दिन की लीव छात्राएं ले सकेंगी।
हाजिरी के अधिकार में से मिलेगी छुट्टी
Menstrual Leave in University: स्टूडेंट काउंसलिंग के सचिव ने जानकारी दी कि अब यह पास हो गया है तो लड़कियों के लिए अच्छा है। यह लीव उसमें से मिलेगी जो 10 फीसदी देने का अधिकार विभाग के डायरेक्टर और वाइस चांसलर के पास होते हैं। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट की 75 फीसदी से कम हाजिरी होने पर 10 फीसदी अटेंडेंस देने का आधिकार पंजाब यूनिवर्सिटी प्रबंधन के पास होता है। काउंसलिंग के अध्यक्ष जतिंदर सिंह और संयुक्त सचिव ने चुनाव प्रचार के दौरान प्रति सिमेस्टर 12 छुट्टियां लागू करने का मुद्दा उठाया था, जिस पर कई बार बैठकें हुईं। बैठकों में कुछ प्रोफेसर, काउंसलिंग की महिला उपाध्यक्ष व सचिव विरोध में दिखे थे। वहीं, कई महिला प्रोफेसरों ने लीव की जरूरत पर असहमति दिखाई थी तो कुछ ने फैसले का स्पोर्ट भी किया था।

Facebook



