पणजी, 31 जनवरी (भाषा) गोवा के जिस नाइटक्लब में दिसंबर के पहले सप्ताह में आग लगने से 25 लोगों की मौत हुई, वह अवैध रूप से बनाया गया था और बिना लाइसेंस के संचालित किया जा रहा था।
राज्य सरकार के निर्देश पर हुई मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई, जिसमें यह खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में आधिकारिक स्तरों पर हुईं कई गंभीर चूक और मिलीभगत की ओर इशारा किया गया है।
इसमें कहा गया है कि वह दुर्भाग्यपूर्ण ढांचा नमक बनाने वाले क्षेत्र के बीच में बना था और ‘‘किसी भी कानून के तहत इसके निर्माण की इजाज़त नहीं थी।’’
रिपोर्ट के अनुसार उत्तरी गोवा के अरपोरा गांव में स्थित ‘बर्च बाय रोमियो लेन’ बिना वैध लाइसेंस के संचालित किया जाता रहा और स्थानीय पंचायत ने संपत्ति को सील करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की।
रिपोर्ट में कहा गया है कि छह दिसंबर की रात प्रतिष्ठान में “उचित सावधानी व सतर्कता बरते बिना” तथा पर्याप्त अग्नि-सुरक्षा उपकरणों के बगैर आतिशबाजी की गई जिसके कारण आग लग गई।
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की अध्यक्षता में वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हुई समीक्षा बैठक में यह रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट के अनुसार नाइट क्लब के नक्शे में इसे नमक बनाने वाले क्षेत्र के बीच स्थित षट्भुजाकार संरचना के रूप में दिखाया गया है
रिपोर्ट में कहा गया, “यह स्पष्ट रूप से स्थापित करता है कि यह संरचना नमक बनाने वाले क्षेत्र के बीच में स्थित है और वर्तमान या पूर्व में लागू किसी भी कानून के तहत ऐसी जगहों पर निर्माण की अनुमति नहीं है। नमक क्षेत्र पर निर्माण करना भूमि राजस्व संहिता की धारा 32 तथा तटीय क्षेत्र विनियमों का उल्लंघन है।”
राज्य सरकार ने बुधवार को पूरी रिपोर्ट मीडिया के सामने जारी की।
जांच में पाया गया कि अरपोरा नागोआ की ग्राम पंचायत ने 16 दिसंबर 2023 को ‘बीइंग जीएस हॉस्पिटैलिटी गोवा अरपोरा एलएलपी’ को बार और रेस्टोरेंट एवं नाइटक्लब चलाने के लिए लाइसेंस जारी किया था, जो 31 मार्च 2024 तक वैध था। इसके बाद लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है, “नाइटक्लब बिना वैध व्यापार लाइसेंस के संचालित किया जाता रहा और ग्राम पंचायत ने संपत्ति को सील करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की।”
इसमें कहा गया है कि गोवा पंचायत राज अधिनियम की धारा 72-ए के तहत बिना लाइसेंस के संचालित प्रतिष्ठानों को सील करने का अधिकार होता है।
पंचायत सचिव रघुवीर बागकर ने जांच समिति के समक्ष अपने बयान में स्वीकार किया कि हालांकि उन्हें पता था कि व्यापार लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं हुआ है, लेकिन उन्होंने “किसी अन्य संबंधित विभाग को इसकी सूचना नहीं दी, जिन्होंने पंचायत द्वारा जारी व्यापार लाइसेंस के आधार पर अपनी अनुमति/लाइसेंस दिए थे।”
रिपोर्ट के अनुसार, गांव के सरपंच रोशन रेडकर ने भी मजिस्ट्रेट जांच का नेतृत्व कर रहे अधिकारी के समक्ष स्वीकार किया कि पंचायत ने न तो परिसर को सील किया और न ही संबंधित विभागों को नाइटक्लब के लाइसेंस रद्द होने की जानकारी दी।
रिपोर्ट में कहा गया, “इससे यह स्थापित होता है कि संपत्ति के मालिकों के साथ उनकी मिलीभगत थी और रेस्टोरेंट अवैध रूप से संचालित किया जाता रहा”
पुलिस इस मामले में अब तक आठ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनमें नाइटक्लब के तीन मालिक भी शामिल हैं। गिरफ्तार किए गए लोगों में दिल्ली के व्यवसायी और नाइटक्लब के मालिक सौरभ लूथरा और गौरव लूथरा बंधु भी शामिल हैं। घटना के कुछ ही घंटों बाद दोनों भाई थाईलैंड भाग गए थे और 17 दिसंबर को उन्हें भारत प्रत्यर्पित किया गया।
घटना के सिलसिले में अब तक गोवा सरकार के पांच अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है।
भाषा
जोहेब रंजन
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