गोवा : राणे ने 1990 के दशक की स्वास्थ्य सेवा को याद कर कहा- पिता का इलाज बदहाल आईसीयू में हुआ |

गोवा : राणे ने 1990 के दशक की स्वास्थ्य सेवा को याद कर कहा- पिता का इलाज बदहाल आईसीयू में हुआ

गोवा : राणे ने 1990 के दशक की स्वास्थ्य सेवा को याद कर कहा- पिता का इलाज बदहाल आईसीयू में हुआ

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Modified Date: April 15, 2025 / 03:27 PM IST
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Published Date: April 15, 2025 3:27 pm IST

पणजी, 15 अप्रैल (भाषा) गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने रविवार को एक स्वास्थ्य शिविर में अपने पिता और तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रतापसिंह राणे के 1990 के दशक में दिल का दौरा पड़ने के बाद गोवा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) के आईसीयू में भर्ती होने की घटना को याद किया।

उन्होंने बताया कि इस घटना ने उनकी जिंदगी की दिशा ही बदल दी और उसी वक्त उन्होंने ठान लिया था कि अगर उन्हें कभी राजनीति में आकर स्वास्थ्य विभाग संभालने का अवसर मिला, तो वे राज्य की चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाएंगे।

विश्वजीत राणे ने कहा, ‘यह वही दिन था जब मेरे पिता के नेतृत्व वाली राज्य सरकार गिरा दी गई थी। मैं तारीख ठीक से याद नहीं कर पा रहा, लेकिन यह 1990 या 1991 की बात है। वह (प्रतापसिंह राणे) उस समय संखालिम (उत्तर गोवा स्थित उनका गृहनगर) में थे और वहीं उन्हें हृदयाघात हुआ था।’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रतापसिंह राणे (86) कभी गोवा की राजनीति में एक कद्दावर नेता थे और राज्य के मुख्यमंत्री पद पर अपनी सेवाएं दी थीं।

विश्वजीत राणे ने आगे कहा कि जब उनके पिता को जीएमसीएच के आईसीयू में भर्ती कराया गया, तब वह कॉलेज के छात्र थे और पणजी में थे।

उन्होंने बताया ‘‘आप लोगों में से अधिकतर को जीएमसीएच की हालत का पता नहीं होगा। तब आईसीयू में केवल दो ही बिस्तर थे और जिस बिस्तर पर मेरे पिता लेटे थे…, एक बिल्ली उनके सीने पर बैठी थी। हालात इतने बदतर थे।’

इस घटना को उन्होंने अपने जीवन का ‘टर्निंग पॉइंट’ बताते हुए कहा, ‘तभी मैंने सोचा था कि अगर कभी राजनीति में आया और स्वास्थ्य मंत्री बना, तो इस क्षेत्र में बदलाव जरूर लाऊंगा।’

मंत्री ने कहा कि उनकी मां ने भी तब उनसे कहा था कि अगर सच में लोगों की सेवा करनी है तो स्वास्थ्य क्षेत्र पर ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘उस दिन मैंने प्रण लिया कि मैं स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए काम करूंगा।’

मंत्री राणे ने बताया कि आज गोवा में हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में ऐसे चिकित्सक हैं जो हृदयाघात के मरीजों के लिए ट्रॉम्बोलाइसिस जैसे जीवन रक्षक उपचार कर सकते हैं। ट्रॉम्बोलाइसिस वह प्रक्रिया है जिसमें खून के थक्के को तरल अवस्था में लाकर शरीर में रक्त संचार बहाल किया जाता है। यह दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसी आपात स्थितियों में बेहद कारगर होता है।

उन्होंने कहा कि ऐसे मरीजों को प्राथमिक उपचार देने के बाद जीएमसीएच में आगे की देखभाल के लिए भेजा जाता है।

भाषा राखी मनीषा

मनीषा

 

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