असम के गोरखा ने समुदाय को इसी नाम से पुकारे जाने के राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया

असम के गोरखा ने समुदाय को इसी नाम से पुकारे जाने के राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया

असम के गोरखा ने समुदाय को इसी नाम से पुकारे जाने के राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:17 pm IST
Published Date: July 10, 2021 1:51 pm IST

गुवाहाटी, 10 जुलाई (भाषा) असम के मूलवासी गोरखा समुदाय ने अपने सदस्यों को गोरखा नाम से ही पुकारे जाने के राज्य मंत्रिमंडल के हालिया फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि उनकी पहचान ‘नेपाली’ के रूप में किये जाने से वे कई वर्षों तक अन्य देश के नागरिक जैसा महसूस कर रहे थे।

उल्लेखनीय है कि उन्हें कई वर्षों से नेपाली कह कर पुकारा जाता था।

समुदाय ने गोरखा को संरक्षित वर्ग घोषित किये जाने के मंत्रिमंडल के फैसले पर भी संतोष जताया क्योंकि इससे समुदाय के सदस्यों को बोडोलैंड टेरीटोरियल रीजन (बीटीआर) में भूमि अधिकार सहित अन्य लाभ मिलेंगे।

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समुदाय के नेताओं ने कहा कि संरक्षित वर्ग का दर्जा बीटआर के बाहर के क्षेत्रों में विस्तारित किया जाना चाहिए।

राज्य मंत्रिमंडल ने सात जुलाई की बैठक में समुदाय को संरक्षित वर्ग घोषित करने वाली अधिसूचना जारी करने का फैसला किया था।

गोरखा स्वायत्त परिषद मांग समिति (जीएसीडीसी) के अध्यक्ष हरका बहादुर चेत्री ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘कई वर्षों से हम यह मांग कर रहे थे कि हमारे समुदाय की पहचान गोरखा के रूप में की जाए। हमें नेपाली बताये जाने से हमे ऐसा लगता था कि हम भारत के नहीं बल्कि नेपाल के रहने वाले हैं। ’’

भारतीय जनता पार्टी की असम इकाई के प्रमुख प्रकाश दहल ने कहा , ‘‘गोरखा समुदाय के लिए यह (फैसला) ऐतिहासिक है, जो वर्षों से अस्मिता के संकट से जूझ रहा था। ’’

भाषा सुभाष पवनेश

पवनेश


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