सरकार प्रवासी भारतीयों के लिए डाक मतपत्रों की अनुमति देने से पहले व्यापक विचार-विमर्श करेगी

सरकार प्रवासी भारतीयों के लिए डाक मतपत्रों की अनुमति देने से पहले व्यापक विचार-विमर्श करेगी

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  • Publish Date - December 15, 2020 / 02:03 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:28 PM IST

नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) सरकार ने पात्र प्रवासी भारतीयों को मतदान के लिए डाक मतपत्रों के उपयोग की अनुमति देने के बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं किया है क्योंकि इस संबंध में अंतिम फैसला करने से पहले सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत होगी।

सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे प्रवासी भारतीयों को, जिनके नाम भारत में मतदाता सूची में हैं, डाक मतपत्रों के जरिए मतदान की अनुमति देने के लिए नियमों में संशोधन का चुनाव आयोग का प्रस्ताव अभी नौकरशाही स्तर पर ही है और इस संबंध में राजनीतिक दलों के साथ चर्चा अभी बाकी है।

चुनाव आयोग ने सरकार को प्रस्ताव दिया है कि वह पात्र प्रवासी भारतीय मतदाताओं के लिए इलेक्ट्रॉनिक डाक मतपत्र प्रणाली (ईटीपीबीएस) सुविधा का विस्तार करे। यह सुविधा अभी सैन्यकर्मियों को उपलब्ध है।

चुनाव आयोग ने 27 नवंबर को कानून मंत्रालय में विधायी सचिव को भेजे एक पत्र में कहा कि सैन्यकर्मियों के बीच ईटीपीबीएस की सफलता से अब वह ‘आश्वस्त’ है कि यह सुविधा प्रवासी मतदाताओं को भी मुहैया करायी जा सकती है।

आयोग ने कहा कि वह असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी के विधानसभा चुनावों में इस सुविधा का विस्तार करने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक रूप से तैयार है।

इन राज्यों में अगले साल अप्रैल-जून में चुनाव होने हैं।

आयोग ने कहा कि उसे विदेशों में रह रहे भारतीय मतदाताओं से कई ज्ञापन मिल रहे हैं ताकि उन्हें डाक मतपत्रों के जरिए मतदान की सुविधा मिल सके। ऐसे प्रवासी मतदाता अपने मतदान क्षेत्र में उपस्थित होने की स्थिति में नहीं होते हैं क्योंकि भारत की यात्रा महंगा मामला है और इसके साथ ही वे रोजगार, शिक्षा या अन्य व्यस्तताओं जैसी मजबूरियों के कारण विदेश से नहीं आ सकते।

कानून मंत्रालय को भेजे पत्र में कहा गया है कि कोविड-19 से जुड़े दिशानिर्देशों के कारण समस्या और बढ़ गयी है।

अब तक, प्रवासी भारतीय अपने पंजीकृत निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान करने के लिए स्वतंत्र हैं।

चुनाव आयोग के पास मौजूद अनौपचारिक आंकड़ों से पता चलता है कि केवल 10,000 से 12,000 प्रवासी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है क्योंकि वे भारत आने और मतदान करने के लिए विदेशी मुद्रा नहीं खर्च करना चाहते हैं।

भाषा

अविनाश माधव

माधव