राज्यपाल मिश्र का मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र, टीकों की बर्बादी की उच्च स्तरीय जांच करवाने के निर्देश

राज्यपाल मिश्र का मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र, टीकों की बर्बादी की उच्च स्तरीय जांच करवाने के निर्देश

राज्यपाल मिश्र का मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र, टीकों की बर्बादी की उच्च स्तरीय जांच करवाने के निर्देश
Modified Date: November 29, 2022 / 08:48 pm IST
Published Date: June 4, 2021 11:02 am IST

जयपुर, चार जून (भाषा) कोरोना वायरस से बचाव के लिए लगाए जा रहे टीकों की कथित बर्बादी को लेकर जारी विवाद के बीच राज्यपाल कलराज मिश्र ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर प्रभावी कार्य योजना बनाने और एक—एक टीके का सदुपयोग करने पर जोर देने को कहा है। इसके साथ ही राज्यपाल ने टीके की बर्बादी के संबंध में उच्च स्तरीय जांच करवाने के निर्देश दिए हैं।

राजभवन की ओर से यहां जारी बयान के अनुसार राज्यपाल मिश्र ने मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कोरोना के जीवन रक्षक टीके की बर्बादी के संबंध में प्रकाशित समाचारों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए इस संबंध में प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करवाने के निर्देश दिए हैं।

राज्यपाल ने राज्य सरकार को राज्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिये प्रभावी कार्ययोजना तैयार कर टीके की प्रत्येक खुराक को एक-एक व्यक्ति का रक्षा कवच समझ उसका सदुपयोग करने की दिशा में कार्रवाई करने को भी कहा हैं।

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मिश्र ने कोरोना वैश्विक महामारी के कारण उत्पन्न हुई राष्ट्रव्यापी विपदा के इस काल में नागरिकों के जीवन को बचाने के लिए वैक्सीन को ही एकमात्र सटीक उपाय बताते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा अधिक से अधिक लोगों का टीकाकरण के सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जीवन रक्षक टीके के बर्बादी के संबंध में प्रकाशित कुछ समाचार हालांकि गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने इस संबंध में राज्य सरकार स्तर पर प्रभावी कार्यवाही किए जाने और प्रकरण के संबंध में की जाने वाली कार्रवाई से उन्हें यथाशीघ्र अवगत कराने की भी उम्मीद व्यक्त की है।

उल्लेखनीय है कि मीडिया में इस तरह की खबरें आने के बाद मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपना रखा है। वहीं सरकार राज्य ने उक्त खबर को भ्रामक, असत्य व तथ्यों से परे बताया है। राज्य के चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री डा. रघु शर्मा का कहना है कि राज्य में कोरोना वैक्सीन की बर्बादी (वेस्टेज) दो प्रतिशत से भी कम है जो केंद्र द्वारा अनुमत सीमा 10 प्रतिशत तथा टीकों की बर्बादी के राष्ट्रीय औसत 6 प्रतिशत से बेहद कम है।

भाषा पृथ्वी

प्रशांत

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