सरकार ने एनएससीएन-के पर पांच साल के लिए प्रतिबंध बढ़ाया

सरकार ने एनएससीएन-के पर पांच साल के लिए प्रतिबंध बढ़ाया

सरकार ने एनएससीएन-के पर पांच साल के लिए प्रतिबंध बढ़ाया
Modified Date: September 22, 2025 / 04:47 pm IST
Published Date: September 22, 2025 4:47 pm IST

नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) केंद्र ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-खापलांग (एनएससीएन-के) और उसके सभी गुटों, शाखाओं और अग्रिम संगठनों पर भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक गतिविधियों में संलिप्तता के कारण लगाए गए प्रतिबंध को और पांच साल के लिए बढ़ाने का सोमवार को फैसला किया।

गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि यह प्रतिबंध 28 सितंबर से पांच साल की अवधि के लिए प्रभावी होगा।

अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्र सरकार का मानना ​​है कि एनएससीएन (के) ने भारतीय संघ से अलग होकर भारत-म्यांमा क्षेत्र के नगा बहुल इलाकों को शामिल करते हुए एक संप्रभु नगालैंड बनाने का अपना लक्ष्य घोषित किया है और उसने उल्फा (आई), पीआरईपीएके और पीएलए जैसे अन्य गैरकानूनी संगठनों के साथ गठबंधन किया है।

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इसमें कहा गया है कि यह समूह व्यापारियों, सरकारी अधिकारियों और अन्य नागरिकों से फिरौती एवं जबरन धन वसूली के लिए अपहरण करने में भी संलिप्त है। अधिसूचना में कहा गया है कि इसके पास अवैध हथियार और गोला-बारूद है तथा यह समूह हथियार और अन्य सहायता प्राप्त करने के लिए अन्य देशों में भारत विरोधी ताकतों से सहायता प्राप्त करता है।

अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘अब, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (1967 का 37) (जिसे आगे उक्त अधिनियम कहा जाएगा) की धारा-तीन की उपधारा (एक) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, केंद्र सरकार नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (खापलांग) [एनएससीएन (के)] को उसके सभी गुटों, शाखाओं और अग्रिम संगठनों के साथ एक ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित करती है।’’

एनएससीएन-के दशकों से एक प्रतिबंधित संगठन है और हर पांच साल में इसकी अवधि बढ़ायी जा रही है। इसका नेता, म्यांमा का एक नगा एस. एस. खापलांग, दशकों तक समूह का नेतृत्व करने के बाद 2017 में मारा गया था। अब संगठन का संचालन उनके दो सहयोगी करते हैं।

एनएससीएन-के का प्रतिद्वंद्वी गुट, एनएससीएन-आईएम, वर्तमान में नगालैंड की सात दशक पुरानी उग्रवाद की समस्या का स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए केंद्र सरकार के साथ शांति वार्ता कर रहा है।

भाषा

अमित सुरेश

सुरेश


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