योजनाओं के लाभ से लोगों को वंचित रखने के लिए आधार, प्रौद्योगिकी को हथियार न बनाए सरकार: कांग्रेस

योजनाओं के लाभ से लोगों को वंचित रखने के लिए आधार, प्रौद्योगिकी को हथियार न बनाए सरकार: कांग्रेस

योजनाओं के लाभ से लोगों को वंचित रखने के लिए आधार, प्रौद्योगिकी को हथियार न बनाए सरकार: कांग्रेस
Modified Date: August 30, 2023 / 04:42 pm IST
Published Date: August 30, 2023 4:42 pm IST

नयी दिल्ली, 30 अगस्त (भाषा) कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि सरकार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) जैसी कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से लोगों को वंचित रखने के लिए आधार एवं प्रौद्योगिकी का हथियार के रूप में उपयोग बंद करना चाहिए।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मनरेगा के तहत काम करने वालों को मजदूरी का भुगतान होना चाहिए और इस व्यवस्था में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सोशल ऑडिट कराने तथा खुली नामावली की व्यवस्था पर विचार करना चाहिए।

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के माध्यम से मनरेगा के लिए भुगतान अनिवार्य करने की समयसीमा पांचवीं बार 31 दिसंबर, 2023 तक बढ़ा दी है। यह अपरिहार्य हो गया क्योंकि चार बार समयसीमा बढ़ाए जाने के बावजूद, कुल 26 करोड़ जॉब कार्ड धारकों में से 41.1 प्रतिशत अभी भी भुगतान के इस तरीके के लिए अयोग्य हैं।’’

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रमेश ने कहा कि मोदी सरकार ने शुरू में किसी भी और समयसीमा विस्तार से इनकार कर दिया था क्योंकि चौथे विस्तार की अवधि 31 अगस्त को पूरी हो रही थी।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मनरेगा के प्रति प्रधानमंत्री का तिरस्कार सर्वविदित है। फिर भी मोदी सरकार को कोविड-19 महामारी के दौरान मनरेगा की ओर रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा और अब भी जारी ग्रामीण संकट के कारण, इस वर्ष रिकॉर्ड संख्या में श्रमिकों ने मनरेगा के तहत काम की मांग की है। काम मांगने वाले सभी लोगों को मजदूरी देने की अपनी कानून-अनिवार्य जिम्मेदारी से बचने के लिए मोदी सरकार ने पारदर्शिता और दक्षता में सुधार के नाम पर, मनरेगा श्रमिकों को बार-बार काम या मजदूरी देने से इनकार किया है।’’

उन्होंने कहा कि सरकार के अपने अनुमान के अनुसार, 2.6 करोड़ से अधिक सक्रिय श्रमिकों को एक सितंबर, 2023 से उनके कानूनी रूप से अनिवार्य वेतन का भुगतान नहीं किया गया तथा इसमें वे करोड़ों श्रमिक शामिल नहीं हैं जिनके जॉब कार्ड विभिन्न त्रुटियों के कारण सूची से हटा दिए गए हैं।

रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘आधार को संप्रग सरकार ने सामाजिक कल्याण लाभों तक पहुंच को आसान बनाकर नागरिकों को सशक्त बनाने के एक उपकरण के रूप में पेश किया था। मोदी सरकार ने विशेष रूप से मनरेगा के मामले में और जल्द ही पेंशन और अन्य सामाजिक कल्याण लाभों के साथ, इसे नागरिकों को उनके गारंटीशुदा अधिकारों से बाहर करने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है।’’

कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘हमारी मांग है कि मोदी सरकार को सबसे कमजोर नागरिकों को उनके सामाजिक कल्याण लाभों से वंचित करने के लिए आधार और प्रौद्योगिकी को हथियार बनाना बंद करना चाहिए। मनरेगा श्रमिकों को देय भुगतान जारी रखना चाहिए। पारदर्शिता बढ़ाने के लिए खुली नामावली का क्रियान्वयन और सामाजिक ऑडिट लागू करना चाहिए।’’

भाषा हक

हक नेत्रपाल

नेत्रपाल


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