यशवंत वर्मा के मामले के बहाने न्यायाधीशों की नियुक्ति पर नियंत्रण चाहती है सरकार: सिब्बल

यशवंत वर्मा के मामले के बहाने न्यायाधीशों की नियुक्ति पर नियंत्रण चाहती है सरकार: सिब्बल

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  • Publish Date - June 17, 2025 / 04:19 PM IST,
    Updated On - June 17, 2025 / 04:19 PM IST

नयी दिल्ली, 17 जून (भाषा) राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने मंगलवार को आरोप लगाया कि कथित भ्रष्टाचार के लिए न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की दिशा में बढ़ने के पीछे सरकार का असली मकसद कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करके और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) लाकर न्यायाधीशों की नियुक्ति पर नियंत्रण करना है।

वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने सरकार पर न्यायमूर्ति वर्मा और न्यायमूर्ति शेखर यादव के मामलों को संभालने में चयनात्मक दृष्टिकोण अपनाने का भी आरोप लगाया। न्यायमूर्ति यादव के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने पिछले साल कथित रूप से ‘‘सांप्रदायिक’’ टिप्पणी करने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए राज्यसभा में नोटिस दिया था।

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने में सभी राजनीतिक दलों को साथ लेने के सरकार के संकल्प पर जोर दिया है। इसी साल मार्च में राष्ट्रीय राजधानी में न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना हुई थी और उस समय वहां कथित तौर पर भारी पैमाने पर जली हुई नकदी बरामद की गई थी।

सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार का इरादा कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करना और न्यायाधीशों की नियुक्ति पर नियंत्रण रखना है।

न्यायमूर्ति वर्मा के मामले का उल्लेख करते हुए सिब्बल ने कहा, ‘‘मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि वह सबसे बेहतरीन न्यायाधीशों में से एक हैं, जिनके समक्ष मैंने बतौर वकील दलीलें दी हैं। आप उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में किसी भी वकील से पूछिए, सभी यही कहेंगे कि इस न्यायाधीश द्वारा किसी भी तरह का गलत काम करने की गुंजाइश नहीं है।’’

उनका कहना था, ‘‘यह चौंकाने वाली बात है कि आप (सरकार) एक ऐसे न्यायाधीश को निशाना बना रहे हैं जिसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और आप एक ऐसे न्यायाधीश को बचा रहे हैं जिसके खिलाफ कोई सबूत की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उसका बयान सार्वजनिक पटल पर है और सभापति के समक्ष महाभियोग प्रस्ताव लंबित है।’’

भाषा हक

हक नरेश

नरेश