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SIR BLO Death News: 22 दिन, 7 राज्य और 25 BLO की मौत!.. आखिर विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान क्यों मौत को गले लगा रहें है BLO?.. जानें एक्सपर्ट की राय..
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि अगर चुनाव आयोग कुछ बुनियादी समस्याओं पर ध्यान दे, तो बीएलओ का काम काफी आसान हो सकता है।
Publish Date - November 27, 2025 / 03:44 PM IST,
Updated On - November 27, 2025 / 03:44 PM IST
SIR BLO Death News || Image- IBC24 News File
HIGHLIGHTS
SIR अभियान में 25 BLO की मौत
काम के दबाव पर उठे गंभीर सवाल
विपक्ष ने चुनाव आयोग को घेरा
SIR BLO Death News: नई दिल्ली: 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहा विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान पर कई बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) की ड्यूटी के दौरान मृत्यु के बाद गंभीर सवाल उठने लगे है। कई परिवारों ने इन मौतों के पीछ काम का अत्यधिक दबाव और डिजिटलीकरण लक्ष्यों को पूरा करने समयसीमा को बताया है।
जानें कहाँ और कैसे हुई मौतें?
ताजा आंकड़ों के मुताबिक़ SIR प्रक्रिया के दौरान पिछले 22 दिनों में 7 राज्यों में 25 बूथ लेवल अधिकारी की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा मौते मध्यप्रदेश में 9 जबकि यूपी-गुजरात में 4-4 मौतें हुई हैं। हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने अकेले वेस्ट बंगाल में ही 34 मौतों का दावा किया है।
बात करें मौतों की तो पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में एक महिला बी.एल.ओ. ने आत्महत्या कर ली थी। नादिया में बीएलओ रिंकू अपने घर पर फंदे से लटकी पाई गईं। एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। राजस्थान में भी जयपुर में बीएलओ मुकेश जांगिड़ (48) की रविवार को ट्रेन के आगे छलांग लगा दी थी जिससे उसकी मौत हो गई थी। एक अन्य बीएलओ की करौली में मौत हो गई, जबकि तीसरे को सवाई माधोपुर में दिल का दौरा पड़ा।
गौरतलब है कि, बीएलओ यानी बूथ लेवल अधिकारी, जो चुनाव आयोग का सबसे निचले स्तर पर प्रतिनिधित्व करते हैं। इनकी भूमिका बेहद अहम होती है। ये अपने क्षेत्र के हर मतदाता से जुड़ी जानकारी जुटाते, वोटर लिस्ट को अपडेट करते और मतदान केंद्रों से जुड़े सभी मूलभूत कार्यों को संभालते हैं। आसान शब्दों में कहें, तो BLO वह व्यक्ति है, जो मैदान में जाकर चुनाव आयोग की पूरी प्रक्रिया को सही तरीके से चलाने में सबसे अहम कड़ी बनता है।
SIR को लेकर बिहार चुनाव से पहले ही राजनीतिक घमासान मचा हुआ था, लेकिन अब BLO की मौत और आत्महत्या के मामलों ने इस आग में घी का काम कर दिया। सभी विपक्षी दलों और नेताओं ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए और चुनाव आयोग समेत केंद्र की सत्ताधारी BJP पर को भी घेरा।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी सहित कई विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। उनका कहना है कि आयोग ने लगभग असंभव वोटर वैरिफिकेशन लक्ष्यों को पूरा कराने के लिए BLO पर बहुत ज्यादा दबाव डाल दिया है।
SIR सुधार नहीं, थोपा हुआ अत्याचार: राहुल गांधी
SIR BLO Death News: सोमवार को राहुल गांधी ने कहा, “SIR की आड़ में पूरे देश में अराजकता फैला दी गई है। नतीजा? तीन हफ्तों में 16 BLO अपनी जान गंवा चुके हैं- दिल का दौरा, तनाव, आत्महत्याएं… यह SIR कोई सुधार नहीं, बल्कि थोपा हुआ अत्याचार है।” उन्होंने यह भी कहा कि BLO पर रोजाना एक तय न्यूनतम संख्या में मतदाताओं का वैरिफिकेशन पूरा करने का जो दबाव डाला जा रहा है, उसे राजनीतिक दलों के दबाव के कारण और बढ़ गया है।
SIR पर ममता vs बीजेपी
ममता बनर्जी ने भी चुनाव आयोग की आलोचना में कोई कमी नहीं छोड़ी। उन्होंने मांग की है कि बीएलओ पर पड़ रहे “अमानवीय” कार्यभार के कारण SIR प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए। उनका कहना है कि BLO “अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा काम करने को मजबूर” हैं, और आयोग उन पर दबाव बनाकर उन्हें डराने-धमकाने का काम कर रहा है। एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कड़े शब्दों में लिखा, “और कितनी जिंदगियां जाएंगी? इस SIR के लिए और कितने लोगों को मरना पड़ेगा? हमें और कितनी लाशें देखनी होंगी? यह स्थिति अब सच में बेहद चिंताजनक हो चुकी है!”
इस बीच, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि वह बीएलओ को संसाधन उपलब्ध कराने में फेल रहने और उनकी मृत्यु का राजनीतिकरण करके SIR काम में रुकावट डाल रहा है। BJP IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि TMC के दबाव में फर्जी और संदिग्ध नाम जोड़े जा रहे हैं।
क्या है एक्सपर्ट की राय?
SIR BLO Death News: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि अगर चुनाव आयोग कुछ बुनियादी समस्याओं पर ध्यान दे, तो बीएलओ का काम काफी आसान हो सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मध्य प्रदेश में बीएलओ को ऐप पर कैप्चा भरना बड़ी परेशानी दे रहा था, लेकिन जैसे ही इसे हटाया गया, उनका काम तुरंत सरल हो गया। रावत ने बताया कि एक साथ बड़ी संख्या में फॉर्म अपलोड करने पर सर्वर बार-बार क्रैश हो जाता है। इस समस्या को बीएलओ खुद रात के वक्त फॉर्म अपलोड करके किसी तरह संभाल रहे हैं, जबकि यह जिम्मेदारी सिस्टम की होनी चाहिए थी। इसके अलावा, दिसंबर में स्कूलों का कोर्स पूरा कराने का दबाव भी शिक्षकों पर अलग से है। उनके शब्दों में, “डेडलाइन सिर पर है और बीएलओ अपने स्तर पर समाधान ढूंढ रहे हैं, जबकि असली समाधान तो सिस्टम को देना चाहिए था।”