नफरती भाषण मामला : आवाज का नमूना देने के आदेश के खिलाफ आजम खां की अर्जी पर सुनवाई कल

नफरती भाषण मामला : आवाज का नमूना देने के आदेश के खिलाफ आजम खां की अर्जी पर सुनवाई कल

नफरती भाषण मामला : आवाज का नमूना देने के आदेश के खिलाफ आजम खां की अर्जी पर सुनवाई कल
Modified Date: August 22, 2023 / 04:21 pm IST
Published Date: August 22, 2023 4:21 pm IST

नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खां की उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए बुधवार को राजी हो गया, जिसमें उन्होंने 2007 में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ कथित तौर पर नफरत भरा भाषण देने और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के मामले में अपनी आवाज का नमूना उपलब्ध कराने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है।

आजम की आवाज का नमूना 2007 में रामपुर के टांडा इलाके में एक जनसभा में उनके द्वारा दिए गए भाषण से मिलान के लिए मांगा गया है। इस भाषण को एक सीडी में रिकॉर्ड किया गया था।

न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने आजम की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इस दलील का संज्ञान लिया कि मामले पर तत्काल सुनवाई किए जाने की जरूरत है।

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आजम ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 25 जुलाई के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। उच्च न्यायालय ने आजम की याचिका का निपटारा करते हुए मामले में रामपुर की अदालत का फैसला बरकरार रखा था।

धीरज कुमार शील नाम के एक व्यक्ति ने 2007 में आजम के खिलाफ टांडा पुलिस थाने में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण)अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज कराई थी।

शील ने सपा नेता पर नफरत भरा भाषण देने और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।

रामपुर में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) और 171-जी (चुनाव के संबंध में गलत बयान देना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

पुलिस ने आजम के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की प्रासंगिक धाराएं भी लगाई थीं।

भाषा पारुल दिलीप

दिलीप


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