नैनीताल, 15 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मौसमी जलधाराओं के अलावा रिस्पना नदी से मलबा हटाने और देहरादून जिले के विकास नगर क्षेत्र में जल निकायों पर अनधिकृत निर्माण को चिह्नित करने का मंगलवार को आदेश दिया।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्द्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की पीठ ने देहरादून निवासियों उर्मिला थापा, रेणु पॉल और अजय नारायण शर्मा द्वारा दायर तीन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जारी किया।
जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि नदियों और नालों में लगातार मलबा डालने से अतिक्रमण बढ़ रहा है। साथ ही, इससे रिस्पना नदी में मिलने वाली स्थानीय और मौसमी जल धाराएं भी खत्म हो रही हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि ये जल धाराएं भूस्खलन को रोकने में मदद करती हैं और अगर मलबा जमा होता रहा तो जल धाराएं अपना मार्ग बदल लेंगी, जिससे बाढ़, भूमि कटाव और भूस्खलन की समस्या पैदा होगी।
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