Rahul Gandhi Assam visit: “हिमंत बिस्वा सरमा को जेल जरूर भेजा जाएगा”, राहुल गांधी के बयान पर असम सीएम का बड़ा पलटवार
Rahul Gandhi on Himanta Biswa Sarma:राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं की बैठक में कथित रूप से कहा "हिमंत बिस्वा सरमा को जेल जरूर भेजा जाएगा।" इसी बयान पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बड़ा पलटवार किया है।
Rahul Gandhi Assam visit, image source: PTI
- हिमंत बिस्वा सरमा को जेल जरूर भेजा जाएगा : राहुल गांधी
- सिर्फ मुझे जेल भेजने की बात कहने के लिए असम के दौरे पर हैं : सीएम सरमा
Rahul Gandhi Assam visit: इन दिनों असम की सियासत जमकर गरमाई हुई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा आमने सामने हैं। दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के असम दौरे पर हैं। इसी दौरान राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं की बैठक में कथित रूप से कहा “हिमंत बिस्वा सरमा को जेल जरूर भेजा जाएगा।” इसी बयान पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बड़ा पलटवार किया है।
Rahul Gandhi on Himanta Biswa Sarma, असम के सीएम सरमा ने एक्स पर पलटवार करते हुए कहा, “जो खुद पूरे देश में कई आपराधिक मामलों में जमानत पर हैं, वो दूसरों को जेल भेजने की बात कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि वे सिर्फ मुझे जेल भेजने की बात कहने के लिए असम के दौरे पर हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता असम की मेहमाननवाजी का पूरा आनंद लें और अपनी राजनीतिक दुर्भावना को नियंत्रित रखें।
दरअसल, राहुल गांधी असम दौरे पर थे, जहां उन्होंने कांग्रेस की राज्य स्तरीय राजनीतिक मामलों की समिति के साथ एक बैठक की। इस बैठक में उन्होंने कथित रूप से कहा कि लिख कर ले लीजिए, हिमंत बिस्वा सरमा को जेल अवश्य भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस बयान को राहुल गांधी की दुर्भावना और राजनीतिक प्रतिशोध की भावना बताया। उन्होंने इसे राजनीतिक मंच का दुरुपयोग करार दिया।
असम की राजनीति में जुबानी जंग तेज
वहीं इस बयान के बाद अब कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग और तीखी होती जा रही है। कांग्रेस जहां BJP पर भ्रष्टाचार और तानाशाही के आरोप लगा रही है, वहीं भाजपा कांग्रेस को परिवारवाद और कानून से बचने का प्रयास करने वाला दल बता रही है।
गौरतलब है कि राहुल गांधी खुद कई मामलों में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। सबसे चर्चित मामला ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी से सम्बंधित है, जिसमें उन्हें मानहानि का दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा दी गई थी, हालांकि बाद में उनकी सजा पर रोक लग दी गई थी और उन्हें जमानत मिल गई। अब देखना यह है कि आने वाले समय में असम की राजनीति में यह जुबानी जंग और क्या नया मोड़ लेती है।

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