हिंदू उत्तराधिकार कानून :महिला के पिता के वारिस भी उसकी संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त कर सकते | Hindu Succession Law: Heirs of woman's father can also get succession of her property

हिंदू उत्तराधिकार कानून :महिला के पिता के वारिस भी उसकी संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त कर सकते

हिंदू उत्तराधिकार कानून :महिला के पिता के वारिस भी उसकी संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त कर सकते

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:49 PM IST, Published Date : February 25, 2021/8:53 am IST

नयी दिल्ली, 25 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत महिला के पिता के वारिस भी उसकी संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें ‘‘ अनजान’ नहीं माना जा सकता।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने हिंदू उत्तराधिकार कानून की धारा 15(1)(डी) का संदर्भ देते हुए कहा कि हिंदू महिला के पितृ पक्ष के वारिस में उन व्यक्तियों का उल्लेख है जो संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त करने के अधिकारी हैं।

पीठ ने कहा कि धारा 15(1)(डी) में इंगित किया गया है कि पिता के वारिस उत्तराधिकारी के तहत कवर है और उत्तराधिकार प्राप्त कर सकते हैं। अगर महिला के पिता के उत्तराधिकारी उन लोगों में शामिल है जो संभवत: उत्तराधिकार प्राप्त कर सकते हैं तो उन्हें महिला के लिए अजनबी या परिवार से अलग नहीं माना जा सकता।

हिंदू उत्तराधिकार कानून की धारा 15(1)(डी) हिंदू महिला के लिए उत्तराधिकार के सामान्य नियम से संबंधित है जो कहती है कि पिता के वारिसों को भी संपत्ति का उत्तराधिकार दिया जा सकता हैं

शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘परिवार’ शब्द को विस्तृत संदर्भ में समझना चाहिए और यह केवल करीबी रिश्ते या कानूनी वारिस तक ही सीमित नहीं है बल्कि इनमें वे व्यक्ति भी हैं जो किसी तरह पूर्वज से जुड़े हुए हो, दावे का एक अंश हो या भले ही उनके पास एक उत्तराधिकारी हो।’’

न्यायालय ने यह फैसला जगनो नाम महिला के उत्तराधिकार विवाद में सुनाया। महिला ने पति शेर सिंह की मौत के बाद संपत्ति का बैनामा अपने भाई के बेटों के नाम करा गई थी। जगनो के इस फैसले को उसके पति के भाई ने चुनौती दी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जगनो देवी जो वर्ष 1953 में शेर सिंह की मौत के बाद विधवा हुईं और उत्तराधिकार में खेती की आधी जमीन उत्तराधिकार में मिली और जब उन्होंने उत्तराधिकार में जमीन दी तब वह उसकी मालकिन थी।

पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए हम याचिककर्ता के वकील के तर्क को योग्य नहीं पाते कि प्रतिवादी परिवार के लिए अजनबी हैं। हम इस अपील में योग्य नहीं पाते। ’’

भाषा धीरज अनूप

अनूप

 

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