‘ऑनर किलिंग’ का मामला : आरोपी को मुकदमे के निष्कर्ष का इंतजार करना चाहिए, न्यायालय ने कहा

‘ऑनर किलिंग’ का मामला : आरोपी को मुकदमे के निष्कर्ष का इंतजार करना चाहिए, न्यायालय ने कहा

‘ऑनर किलिंग’ का मामला : आरोपी को मुकदमे के निष्कर्ष का इंतजार करना चाहिए, न्यायालय ने कहा
Modified Date: November 29, 2022 / 07:49 pm IST
Published Date: July 9, 2021 11:23 am IST

नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने ‘ऑनर किलिंग’ के मामले में एक आरोपी को जमानत दिए जाने पर कहा कि उसे मुकदमे के परिणाम का इंतजार करना चाहिए था। मामले में केरल के एक युवक ने राजस्थान की लड़की से शादी की थी और आरोप है कि लड़की के परिवारवालों ने 2017 में लड़के की हत्या करवा दी।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने मृतक अमित नायर के बहनोई मुकेश चौधरी की जमानत पहले रद्द कर दी थी। पीठ ने इस पर नाराजगी जतायी कि मुकदमा अब भी लंबित होने के बावजूद आरोपी को जमानत दे दी गयी।

पीठ ने कहा, ‘‘यह कैसा आदेश है। वे इंतजार क्यों नहीं कर सकते। मुकदमे से पहले जमानत पाने के लिए आपके मुवक्किल की बेचैनी सही नहीं है। हमने पहले जमानत रद्द कर दी थी। उन्हें मुकदमे के पूरा होने का इंतजार करना चाहिए था।’’

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राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों, अमित नायर की विधवा ममता नायर और चौधरी के वकील की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि जमानत रद्द करने के लिये दायर याचिका पर आदेश बाद में सुनाया जायेगा।

जयपुर की रहने वाली ममता ने अगस्त 2015 में अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ मुकेश चौधरी के दोस्त अमित से शादी की थी। दो साल बाद मई 2017 में, महिला के माता-पिता जीवनराम चौधरी और भगवानी देवी ने जयपुर में अपने दामाद अमित नायर की हत्या की कथित तौर पर साजिश रची।

पुलिस ने आरोप लगाया कि महिला के माता-पिता एक परिचित के साथ उसके घर में घुसे जिसने अमित को गोली मार दी और उसका दूसरा साथी बाहर कार में इंतजार कर रहा था।

सुनवाई शुरू होने पर जयसिंह ने कहा, ‘‘यह कोई सामान्य मामला नहीं है। यह ‘ऑनर किलिंग’ का मामला है जिसमें परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी करने वाली महिला के पति की गोली मारकर हत्या कर दी गई। आरोपी को जमानत मिल गई, जिसके खिलाफ याचिका दाखिल की गयी है। यह आपराधिक साजिश का मामला है। उनका (आरोपी का) एकमात्र बचाव यह है कि वह वहां मौजूद नहीं था। लड़की गर्भवती थी।’’

वरिष्ठ वकील ने कहा कि राजस्थान में ‘ऑनर किलिंग’ का प्रचलन है और मौजूदा मामले में महिला के भाई की जमानत अर्जी पहले दो बार खारिज हो चुकी है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘पहले हमने भी उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।’’

जयसिंह ने कहा कि जब वह शीर्ष अदालत में बहस कर रही थीं, तो उन्हें जानकारी मिली है कि अब मामले में महिला की मां को जमानत दे दी गई है। राज्य सरकार के वकील ने भी जयसिंह की दलील का समर्थन किया और कहा कि आरोपी मनोज को उच्च न्यायालय द्वारा दी गई जमानत रद्द की जाए।

आरोपी के वकील ने कहा कि वह एक इंजीनियर था और घटना की जगह पर मौजूद नहीं था और इसके अलावा, उस पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया है और इसके लिए निचली अदालत के सामने कोई सबूत नहीं रखा गया है।

मनोज चौधरी के वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा मुकदमे के दौरान 46 में से केवल 21 अभियोजन गवाहों से पूछताछ की गई है और आरोपी को जेल में बंद करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। पीठ ने कहा, ‘‘आप के लिए अच्छा है। अगर कोई सबूत नहीं है, तो आप इससे बाहर आ जाएंगे। मुकदमा पूरा होने की प्रतीक्षा कीजिए ।’’

पीठ ने ममता नायर की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया ।

अमित की मां रमा देवी ने 17 मई, 2017 को जयपुर में भारतीय दंड संहिता की धारा 452 (घर में अवैध तौर पर घुसना), 302 (हत्या) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी थी ।

भाषा आशीष मनीषा अनूप

अनूप


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