अरुणाचल में चार दिन के अभियान के बाद हूलोक गिबन के परिवार को बचाया गया
अरुणाचल में चार दिन के अभियान के बाद हूलोक गिबन के परिवार को बचाया गया
ईटानगर, छह दिसंबर (भाषा) अरुणाचल प्रदेश के लोअर दिबांग घाटी जिले के होरू पहाड़ गांव में चार दिन के चुनौतीपूर्ण अभियान के बाद हूलोक गिबन के एक परिवार को बचा लिया गया। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
चार सदस्यों वाले इस हूलोक गिबन समूह को मेहाओ वन्यजीव अभयारण्य के भीतर सुरक्षित रूप से छोड़ दिया गया और अब उन पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
मेहाओ वन्यजीव अभयारण्य के प्रभागीय वन अधिकारी मिटो रूमी ने कहा, “शुक्रवार सुबह हमने तीनों जानवरों को बचाव स्थल के पास देखा। वे सभी ठीक हालत में लग रहे हैं।”
खेती के विस्तार की वजह से आसपास के पेड़ों की टहनियां कम हो गई थीं, जिसके कारण हूलोक गिबन एक 45 मीटर ऊंचे फाइकस पेड़ पर फंस गए थे।
अधिकारी ने कहा, “उनका प्राकृतिक आवास सिर्फ एक पेड़ तक सिमट गया था। पेड़ों की टहनियां आपस में न जुड़ी होने के कारण उन्हें जमीन पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ रहा था, जो पेड़ों पर रहने वाले इन जीवों के लिए बेहद खतरनाक है।”
‘वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (डब्ल्यूटीआई) के विशेषज्ञों की ओर से की गई पशु-चिकित्सकीय जांच में पाया गया कि ये जानवर कमजोर थे और उनका वजन सामान्य से कम था।
पशु-चिकित्सा टीम का नेतृत्व करने वाले डब्ल्यूटीआई के डॉ. भास्कर चौधरी ने कहा, “यह परिवार लंबे समय से पोषण की कमी और अलग-थलग रहने की स्थिति से गुजर रहा था। समय पर हस्तक्षेप न होता, तो इनके जीवित बचने की संभावना बेहद कम हो जाती।”
चौधरी के अनुसार, डब्ल्यूटीआई के निदेशक सुनील क्यारोंग की देखरेख में इस बचाव अभियान का संचालन किया गया। उन्होंने बताया कि अभियान के लिए विशेष तकनीकी कौशल की आवश्यकता थी।
चौधरी ने कहा, “इतनी ऊंचाई से गिबन निकालने के लिए सटीकता, शांत समन्वय और उनके व्यवहार की गहरी समझ जरूरी होती है। किसी भी तरह की गलती घातक साबित हो सकती थी।”
भाषा
खारी पारुल
पारुल

Facebook



