किसान आंदोलन में संगठनों को कितना मिला चंदा? कहां खर्च हुए पैसे; सारा ब्यौरा आया सामने

Farmers Protest Donation Detail: दिल्ली की सीमाओं पर बीते 1 साल से चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) में किसान संगठनों को मिले चंदे का ब्यौरा सामने आया है। संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) ने (Details Of Donation) इसे जारी किया है

किसान आंदोलन में संगठनों को कितना मिला चंदा? कहां खर्च हुए पैसे; सारा ब्यौरा आया सामने

Farmers Protest Donation Detail

Modified Date: November 29, 2022 / 08:18 pm IST
Published Date: December 6, 2021 12:58 pm IST

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नई दिल्ली: Farmers Protest Donation Detail: दिल्ली की सीमाओं पर बीते 1 साल से चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) में किसान संगठनों को मिले चंदे का ब्यौरा सामने आया है। संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) ने (Details Of Donation) इसे जारी किया है। जारी ब्यौरे के अनुसार, 26 नवंबर 2020 से 29 नवंबर 2021 तक किसान संगठनों (Farmer’s Organizations) को कुल 6 करोड़ 35 लाख 83 हजार 940 रुपये का चंदा मिला है। जिसमें से अब तक 5 करोड़ 39 लाख 83 हजार से ज्यादा रुपये खर्च कर चुके हैं और अभी उनके पास 96 लाख रुपये शेष हैं।

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किसान संगठनों की मानें तो सबसे ज्यादा खर्च मंच बनाने और उस पर स्पीकर और लाइट लगाने पर खर्च हुए हैं, यह राशि करीब 81 लाख 47 हजार से ज्यादा रुपये मंच, लाइट और साउंड पर 1 साल में खर्च हो चुके हैं। वहीं प्रदर्शनकारियों के नहाने और पीने के पानी की व्यवस्था करने पर किसान संगठनों ने 17 लाख 95 हजार से ज्यादा रुपये खर्च किए है।

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जारी किए गए ब्यौरे के मुताबिक, उन्होंने अब तक प्रदर्शनकारियों के इलाज और दवाइयों पर 68 लाख 57 हजार से ज्यादा रुपये खर्च किए। तिरपाल, कैमरा और वॉकी-टॉकी पर 38 लाख रुपये से ज्यादा, प्रदर्शनस्थल की सफाई पर 32 लाख रुपये से ज्यादा, लंगरों के टेंट पर 51 लाख रुपये, बारिश से बचने के लिए वाटर प्रूफ टेंट पर 19 लाख रुपये से ज्यादा, टीन शेड पर 45 लाख रुपये से ज्यादा और आंदोलन का प्रचार-प्रसार करने वाली आईटी सेल पर 36 लाख से ज्यादा रुपये खर्च हुए।

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गौरतलब है कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून रद्द कर चुकी है, तब भी किसान आंदोलन लगातार जारी है। किसान घर वापस जाने को तैयार नहीं हैं। किसानों ने कई अन्य मांगें सरकार के सामने रख दी हैं। हाल ही में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा था कि किसानों की सभी मांगें अभी पूरी नहीं हुई हैं। सरकार को एमएसपी पर कानून बनाना होगा। आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजा देना होगा। इसके अलावा किसानों के खिलाफ दर्ज झूठे केस वापस लेने होंगे। इसके बाद ही किसान आंदोलनकारी अपने घर वापस जाएंगे।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com