(तस्वीरों के साथ)
तिरुवनंतपुरम, 29 मार्च (भाषा) लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल ने बुधवार को कहा कि लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता बहाल कर दी क्योंकि कुछ घंटों के बाद उच्चतम न्यायालय उन्हें अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ दाखिल उनकी अर्जी पर सुनवाई करने वाला था और वे वहां आने वाले नतीजों को लेकर चिंतित थे।
संसद सदस्यता बहाल करने के फैसले का स्वागत करते हुए फैजल ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है’’ कि क्यों लोकसभा सचिवालय ने शीर्ष न्यायालय में उनकी अर्जी पर सुनवाई होने से पहले अधिसूचना जारी की।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा ) नेता ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि उन्होंने इसे (सदस्यता बहाली) आज क्यों किया। वे केरल उच्च न्यायालय द्वारा मेरी सजा को निलंबित करने के बाद कर सकते थे। उन्होंने आखिर दो महीने के लिए क्यों इंतजार किया?
फैजल ने कहा कि जिस निर्वाचन क्षेत्र व जनता का वह प्रतिनिधित्व करते हैं उनकी आवाज को गत 60 दिनों तक संसद के निम्न सदन में उठाने से वंचित किया गया।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मेरी मंशा लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर पूछने की है कि मुझे और मेरे निर्वाचन क्षेत्र की जनता को इस अवधि की क्षतिपूर्ति कैसे की जाएगी।’’
फैजल ने कहा, ‘‘लोकसभा अध्यक्ष के जवाब के आधार पर आगे की रणनीति तय करूंगा।’’ उन्होंने साथ ही कहा कि वह पीछे मुड़ कर देखने के बजाय आने वाले समय में काम करने पर गौर करेंगे।
उल्लेखनीय है कि केरल उच्च न्यायालय ने 25 जनवरी को फैजल को मिली सजा को स्थगित करते हुए कहा था कि ऐसा करना चाहिए क्योंकि इससे नए सिरे से खाली सीट पर चुनाव कराने होंगे और जनता व सरकार पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा।
लोकसभा सचिवालय ने 13 जनवरी को जारी अधिसूचना में कहा कि 11 जनवरी को कवारत्ती की सत्र अदालत द्वारा फैजल को एक मामले में दोषी करार दिए जाने के साथ ही उनकी सदस्यता उसी दिन से खत्म की जाती है।
शीर्ष न्यायालय फैजल को संसद से अयोग्य करार दिए जाने के खिलाफ दायर अर्जी पर सुनवाई करने वाली थी, लेकिन इससे कुछ घंटे पहले ही बुधवार सुबह लोकसभा सचिवालय ने 25 जनवरी के उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए उनकी सदस्यता बहाल करने की अधिसूचना जारी की।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक फैजल और पहचाने गए कुछ अन्य व्यक्तियों सहित 36 अन्य आरोपियों के साथ वर्ष 2009 में प्राणघातक हथियार के साथ दंगे करने और दिवंगत कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री पी एम सईद के दामाद मोहम्मद सालिह और उनके मित्र मोहम्मद कासिम को अंद्रोथ द्वीप पर गलत तरीके से बंधक बनाकर नुकसान पहुंचाने का दोषी करार दिया था।
भाषा धीरज नरेश
नरेश
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