जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटना में जान गंवाने वाले वायुसेना के पायलट सिंधु एक महीने पहले बने थे पिता

जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटना में जान गंवाने वाले वायुसेना के पायलट सिंधु एक महीने पहले बने थे पिता

जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटना में जान गंवाने वाले वायुसेना के पायलट सिंधु एक महीने पहले बने थे पिता
Modified Date: July 10, 2025 / 07:57 pm IST
Published Date: July 10, 2025 7:57 pm IST

चंडीगढ़, 10 जुलाई (भाषा) राजस्थान के चुरू के निकट बुधवार को जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटना में जान गंवाने वाले भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के दो पायलटों में से एक स्क्वाड्रन लीडर लोकेन्द्र सिंह सिंधु एक महीने पहले ही पिता बने थे और हरियाणा में उनका परिवार इसका जश्न मना रहा था।

हरियाणा के रोहतक के खेरी साध गांव के रहने वाले सिंधु ने मंगलवार शाम को वीडियो कॉल के जरिए अपने परिवार से बात की थी और घटना से कुछ घंटे पहले ही उन्होंने परिवार के सदस्यों को संदेश भेजकर हालचाल पूछा था।

सिंधु के परिवार के कुछ सदस्यों ने बृहस्पतिवार को रोहतक में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वे सिंधु के बेटे के जन्म का जश्न मना रहा थे, लेकिन किसी को नहीं पता था कि भाग्य में यह लिखा है। उन्होंने कहा कि सिंधु के बेटे का जन्म ठीक एक महीने पहले 10 जून को हुआ था।

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बुधवार सुबह हुई दुर्घटना में भारतीय वायुसेना के एक और पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट ऋषिराज सिंह (23) की भी मौत हो गई।

घटना के बाद, वायुसेना ने कहा कि दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ का गठन किया गया है।

सिंधु के बच्चे के जन्म के उपलक्ष्य में परिवार ने 30 जून को एक समारोह आयोजित किया था, जिसमें सिंधु शामिल हुए थे। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि अगले दिन वह फिर से ड्यूटी पर लौट गए।

सिंधु के दादा बलवान सिंह ने कहा कि सिंधु अपनी पत्नी, एक महीने के बेटे, एक भाई, एक बहन, माता-पिता और दादा-दादी को छोड़कर चला गया है।

सिंह ने कहा, ‘सिंधु का एक बच्चा है, जो 10 जुलाई को एक महीने का हो गया।’

सिंधु के बारे में उनके दादा ने कहा, ‘हमारे बीच बहुत अच्छा रिश्ता था और अब वे सारी यादें ताज़ा हो रही हैं।’

उनके भाई ज्ञानेंद्र ने कहा कि जब उन्हें मीडिया के जरिए विमान दुर्घटना के बारे में पता चला, तो उन्होंने नासिक में अपने बहनोई को फोन किया, जो विंग कमांडर हैं।

सिंधु की प्रशंसा करते हुए ज्ञानेंद्र ने कहा कि उनके भाई ने यह सुनिश्चित किया कि विमान आबादी वाले इलाके में दुर्घटनाग्रस्त न हो।

ज्ञानेंद्र ने कहा, ‘उन्होंने लोगों को हताहत होने से बचाने के लिए विमान को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की कोशिश की, लेकिन ऐसा करते समय विमान की ऊंचाई कम हो गई और वह उससे बाहर नहीं निकल सके।”

उन्होंने कहा, ‘वह बहुत कुशल थे और उनकी सोच बहुत तेज थी…।’

भाषा जोहेब रंजन

रंजन


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