आईआईटी से पढ़ाई करने वाले ‘बाबा’ जूना अखाड़ा से निष्कासित

आईआईटी से पढ़ाई करने वाले ‘बाबा’ जूना अखाड़ा से निष्कासित

आईआईटी से पढ़ाई करने वाले ‘बाबा’ जूना अखाड़ा से निष्कासित
Modified Date: January 20, 2025 / 04:13 pm IST
Published Date: January 20, 2025 4:13 pm IST

महाकुम्भ नगर, 20 जनवरी (भाषा) सोशल मीडिया पर ‘आईआईटियन बाबा’ के तौर पर मशहूर हुए इंजीनियर अभय सिंह को अपने गुरु के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप में शनिवार की रात जूना अखाड़े के शिविर से बाहर कर दिया गया।

जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘वह (अभय सिंह) साधु नहीं बना था… लखनऊ से यहां ऐसे ही आ गया था और स्वयंभू साधु बना घूम रहा था।’’

उन्होंने बताया, ‘‘वह महंत सोमेश्वर गुरु के साथ यहां आया था। उसने अपने गुरु महंत सोमेश्वर पुरी के बारे में सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा का उपयोग किया था, इसलिए अखाड़ा के शिविर और आसपास उसके आने पर रोक लगा दी गई है।’’

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श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा, ‘‘अभय सिंह का कृत्य गुरु-शिष्य परंपरा और संन्यास के खिलाफ है। जिसे गुरु के प्रति सम्मान नहीं है, उसका सनातन धर्म के प्रति भी कोई सम्मान नहीं होगा। जूना अखाड़ा में अनुशासन सर्वोपरि है।’’

उन्होंने कहा कि अखाड़ा के हर सदस्य को अनुशासन से रहना होता है, लेकिन अभय सिंह ने अपने गुरु का अपमान कर यह परंपरा तोड़ी। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर, अखाड़ा की अनुशासन समिति ने अभय के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की और अखाड़े से बाहर कर दिया गया।

अभय सिंह को सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में यह कहते सुना जा सकता है, “अखाड़े ने आने से मना किया तो मैं वहां से चला गया.. आखिर वह उनकी प्रॉपर्टी है।”

उल्लेखनीय है कि इससे पहले अभय सिंह ने सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में बताया था कि उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई से पढ़ाई करने के बाद ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ में नौकरी की और नौकरी छोड़कर वह संन्यासी बने।

यह पूछने पर कि उनके गुरु कौन हैं, उन्होंने कहा, “मैं जो भी मिले, उससे सीख लेता हूं। अखाड़े में भी भगवान शिव ही बताते थे ध्यान कैसे करो। माता-पिता ने पढ़ाने लिखाने पर पैसे खर्च किए, लेकिन प्यार कहां था।”

अखाड़ों को लेकर उन्होंने कहा, “मेरी योजना वहां चार-पांच दिन रुकने की थी, और मैं अखाड़ों के काम देखने आया था। लेकिन प्रसिद्धि मिलने के बाद सारी चीजें गड़बड़ हो गईं।”

उन पर एक रील में अपने पिता और गुरु के खिलाफ अपशब्द का इस्तेमाल करने का आरोप है। इसके बाद ही संतों में उनके खिलाफ आक्रोश पैदा हुआ और शनिवार की रात उन्हें अखाड़ा के शिविर से बाहर कर दिया गया।

भाषा राजेंद्र वैभव

वैभव


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