उत्तरकाशी के हर्षिल में देवदार के पेड़ों पर ‘रक्षा सूत्र’ बांधकर लोगों ने लिया उनकी रक्षा का संकल्प
उत्तरकाशी के हर्षिल में देवदार के पेड़ों पर 'रक्षा सूत्र' बांधकर लोगों ने लिया उनकी रक्षा का संकल्प
देहरादून (उत्तराखंड), आठ दिसंबर (भाषा) देश के विभिन्न हिस्सों से उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के हर्षिल पहुंचे पर्यावरण प्रेमियों ने गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर देवदार के पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें संरक्षित करने का संकल्प लिया।
झाला से भैरोंघाटी के बीच ‘आलवेदर’ सड़क चौड़ीकरण के नाम पर काटे जाने वाले देवदार के हरे पेड़ों को बचाने के लिए “रक्षासूत्र आंदोलन” अब जोर पकड़ता जा रहा है। इसी के तहत रविवार को देश के विभिन्न हिस्सों से हर्षिल पहुंचे लोगों ने पर्यावरणविद सुरेश भाई और कल्पना ठाकुर के नेतृत्व में देवदार के पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें बचाने का संकल्प लिया।
रक्षा सूत्र बांधने वालों में स्थानीय लोगों के साथ पर्यावरण कार्यकर्ता तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ स्वयंसेवक भी शामिल रहे ।
पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी और डॉ कर्ण सिंह ने भी आंदोलन को समर्थन दिया है। डॉ जोशी ने इस मौके पर लोगों को अपना वीडियो संदेश भी भेजा। इसके अलावा हर्षिल की पूर्व प्रधान बसंती नेगी, सुखी गांव के पूर्व सैनिक मोहन सिंह राणा, ‘ग्लेशियर लेडी’ के नाम से विख्यात पर्यावरणविद शांति ठाकुर, पर्वतारोही डॉ हर्षवंती बिष्ट, प्रसिद्ध समाजसेविका राधा बहन समेत अनेक लोग इस आंदोलन से जुड़े हैं।
पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि गंगोत्री राजमार्ग पर दोनों ओर 50-100 मीटर की दूरी तक सघन जंगल में देवदार के पेड़ों को काटने के लिए सरकार ने उन पर निशान लगा दिए हैं।
रक्षासूत्र आंदोलन के प्रेरक सुरेश भाई ने बताया कि 2016 में ‘आलवेदर’ सड़क की चौड़ाई 18-24 मीटर निर्धारित की गयी थी जो पर्यावरण कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद घटाकर 10-11 मीटर कर दी गयी ।
उन्होंने आरोप लगाया कि चौड़ाई कम किए जाने के बावजूद सड़क के दोनों ओर करीब 50-100 मीटर की दूरी तक देवदार के पेड़ों को काटने के लिए उनपर निशान लगा दिए गए हैं ।
सुरेश भाई ने निशान लगाए गए देवदार के पेड़ों की संख्या साढे छह हजार होने के सरकारी आंकड़ों को गलत बताते हुए दावा किया कि कम से कम दस हजार पेड़ों पर निशान लगाए गए हैं ।
उन्होंने यह भी कहा कि इन पेड़ों को काटे जाने के दौरान उनके गिरने से उस क्षेत्र में उग रहे एक फीट से 15 फीट की उंचाई तक के लगभग दो लाख छोटे-बड़े पेड़ भी ध्वस्त हो जाएंगे जो क्षेत्र के पर्यावरण के लिए एक बड़ी क्षति होगी ।
सुरेश भाई ने यह भी कहा कि हिमालय की संवेदनशीलता को देखते हुए सड़क की चौड़ाई को छह मीटर से अधिक नहीं रखा जाना चाहिए तथा सड़क को उन जगहों से गुजारा जाना चाहिए जहां पेड़ नहीं हों या उनकी संख्या न्यूनतम हो।
उन्होंने कहा कि छह मीटर की सड़क पर आसानी से एक साथ दो गाड़ियां चल सकती हैं।
इससे पहले, उत्तराखंड के प्रसिद्ध किसान नेता भोपाल सिंह चौधरी ने 27 नवंबर को ‘इंडिया हैबिटेट सेंटर’ में हुए पर्यावरण पर हुए एक कार्यक्रम में डॉ जोशी तथा डॉ सिंह की मौजूदगी में इस मुद्दे को उठाया था तथा उन्होंने लोगों को हर्षिल में देवदार के पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधने के लिए लोगों को आमंत्रित किया था।
भाषा दीप्ति
राजकुमार
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