देश के इन राज्यों में सबसे ज्यादा होता है कैदियों का उत्पीड़न, गृह मंत्रालय ने जारी किया आंकड़ा, जानें अपने प्रदेश का हाल

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार 2021-22 के दौरान देश भर में पुलिस हिरासत में 2544 मौत हुई।

देश के इन राज्यों में सबसे ज्यादा होता है कैदियों का उत्पीड़न, गृह मंत्रालय ने जारी किया आंकड़ा, जानें अपने प्रदेश का हाल
Modified Date: November 29, 2022 / 08:49 pm IST
Published Date: July 27, 2022 3:31 pm IST

नई दिल्ली। पुलिस हिरासत के दौरान उत्पीड़न और मौत के तमाम मामले सामने आते रहे हैं। कई बार ऐसे मामलों में सरकार पर भी सवाल उठे है। अक्सर हम देखते हैं कि पुलिस हिरासत में आरोपियों की मृत्यु हो जाती है और इस पर कई बवाल भी होते हैं, अब गृह मंत्रालय ने पुलिस हिरासत में हुई मौतों पर आधिकारिक आंकड़े जारी कर दिए है। हिरासत में हुई मौतों के संबंध में दर्ज मामलों में उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों की सूची में शीर्ष पर हैं, तो वहीं मध्यप्रदेश भी इस मामले में तीसरे नम्बर पर है और यह बात गृह राज्य मंत्रालय द्वारा मंगलवार को संसद में बताई गई।〈 >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दी जानकारी

वहीं गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि पुलिस हिरासत में मौत के आंकड़े के अनुसार 2021-22 उत्तर प्रदेश में हिरासत में मौत के कुल 501 मामले दर्ज किए गए तो वहीं पश्चिम बंगाल में 257 ऐसे मामले दर्ज किए गए। मध्य प्रदेश में 201 ऐसे मामले सामने आए है और बिहार में 237 वही महारष्ट्र में 197 मामले देखने को मिले हैं। आपको बता दें। लोकसभा में एक लिखित उत्तर में ग्रह राज्य मंत्री ने कहा कि ये राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार 2021-22 के दौरान देश भर में पुलिस हिरासत में 2544 मौत हुई।

इन मौतों की ज़िम्मेदार राज्य सरकारें हैं

आगे गृह राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि “पुलिस” और “सार्वजनिक व्यवस्था” संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार राज्य के विषय हैं, और यह मुख्य रूप से संबंधित राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों के मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। इसी तरह वर्ष 2021-22 में 45 मामलों में पुलिस के साथ मुठभेड़ों में मौत के दर्ज मामले में जम्मू और कश्मीर राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है। देश भर में में 151 मामले दर्ज किए गए।

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भारत के मुख्य न्यायाधीश भी कर चुके हैं ज़िक्र

आपको बता दें पुलिस हिरासत में उत्पीड़न और मौत के मामलों का ज़िक्र भारत के मुख्य न्यायाधीश एन. वी रमन्ना ने भी कर चुके हैं । जानकारी के अनुसार अगस्त, 2021 में उन्होंने एक संबोधन में कहा, कि “संवैधानिक रक्षा कवच के बावजूद अभी भी पुलिस हिरासत में शोषण, उत्पीड़न और मौत होती है। इसके चलते पुलिस स्टेशनों में ही मानवाधिकार उल्लंघन की आशंका बढ़ जाती है।” उन्होंने यह भी कहा, कि “पुलिस जब किसी को हिरासत में लेती है तो उस व्यक्ति को तत्काल क़ानूनी मदद नहीं मिलती है. गिरफ़्तारी के बाद पहले घंटे में ही अभियुक्त को लगने लगता है कि आगे क्या होगा?”

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस के व्यवहार को लेकर कही यह बातें

मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी व्यक्ति की गिरफ़्तारी के दौरान पुलिस के व्यवहार को लेकर नियम निर्धारित किए है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘बिना वारंट के किसी व्यक्ति को गिरफ़्तार करने और चोरी के मामलों में पूछताछ के दौरान उत्पीड़न के कई मामले देखने को मिले हैं और ऐसी ही पिटाई से अभियुक्त की मौत हो जाती है। यदि किसी व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मृत्यु हो जाती है, तो ऐसी मौतों को छिपाया जाता है या पुलिस हिरासत से रिहा होने के बाद व्यक्ति की मृत्यु को दिखाया जाता है।

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