हिप्र में चिकित्सकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से राज्यभर में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित
हिप्र में चिकित्सकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से राज्यभर में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित
शिमला, 27 दिसंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश में मरीज के साथ झड़प करने के आरोप पर एक चिकित्सक की सेवा समाप्त किये जाने के विरोध में ‘रेजिडेंट डॉक्टर’ शनिवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए जिसके कारण राज्य के कई अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर अन्य चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
हड़ताल के कारण अस्पतालों में चिकित्सकों की अनुपलब्धता से मरीजों और उनके तीमारदारों, विशेष रूप से दूर-दराज के इलाकों से आने वाले लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
मरीज के साथ आए कृष्ण सिंह ठाकुर ने बताया, ‘मैं बृहस्पतिवार को आनी (कुल्लू) से यहां आया था, जो शिमला से लगभग 125 किलोमीटर दूर है। लेकिन हड़ताल के कारण यहां कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं है और हमें बहुत परेशानी हो रही है।’
उन्होंने कहा कि कड़ाके की ठंड और नए साल के आसपास पर्यटकों की बढ़ी संख्या के कारण आवास की अनुपलब्धता से उनकी परेशानी और बढ़ गई है।
उन्होंने मरीजों के हित के लिए सरकार और चिकित्सकों से इस मामले को जल्द से जल्द हल करने का आग्रह किया।
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और राज्य भर के कई अन्य सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर शुक्रवार को सामूहिक रूप से आकस्मिक अवकाश पर चले गए।
इस संबंध में ‘रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ ने शनिवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा करते हुए कहा था कि हड़ताल के दौरान नियमित सेवाएं, ऐच्छिक ऑपरेशन थिएटर और बहिरंग विभाग बंद रहेंगे और केवल आपातकालीन सेवाएं ही चालू रहेंगी।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने बुधवार को डॉक्टर नरूला की सेवाएं समाप्त कर दी थीं। उन पर सोमवार को अर्जुन सिंह नामक मरीज के साथ झड़प करने का आरोप है।
यह घटना तब प्रकाश में आई जब इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) के पल्मोनरी वार्ड (फेफड़ा विभाग) में हुए इस विवाद का एक वीडियो सामने आया। इस वीडियो में डॉक्टर नरूला मरीज के चेहरे पर घूंसा मारते हुए दिख रहे हैं जबकि मरीज डॉक्टर को लात मारने की कोशिश कर रहा है।
अर्जुन सिंह ब्रोंकोस्कोपी कराने अस्पताल आया था और प्रक्रिया के बाद सांस लेने में तकलीफ की शिकायत कर रहा था। सिंह ने आरोप लगाया कि विवाद की शुरुआत चिकित्सक द्वारा उसे ‘तुम’ की जगह ‘तू’ कहकर संबोधित करने से हुई। जब सिंह ने इसे लेकर आपत्ति जताई तो नरूला आक्रामक हो गया।
अधिकारियों के अनुसार, चिकित्सक नरूला का कहना है कि उनके तथा उनके परिवार के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए झगड़े की शुरुआत सिंह ने की थी।
उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच के लिए बनाई गई समिति की रिपोर्ट में दोनों पक्षों को दोषी माना गया है।
अधिकारियों के अनुसार, जांच समिति ने नरूला के व्यवहार में ‘दुराचार, दुर्व्यवहार और लोक सेवक के लिए अशोभनीय कृत्य’ पाया है।
हिमाचल प्रदेश ‘मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन’, ‘शिमला एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स’, ‘शिमला प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन’ और ‘फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ ने चिकित्सकों के समर्थन में आवाज उठाई है।
इस संस्थाओं ने नरूला की सेवा बहाली की मांग की है। साथ ही, उन्होंने इस घटना की पारदर्शी, समयबद्ध और निष्पक्ष जांच कराने तथा अस्पताल परिसर के भीतर अराजकता फैलाने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त और त्वरित कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।
इस घटना को लेकर ‘रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ के सदस्यों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की थी।
मुख्यमंत्री ने अस्पताल के भीतर चिकित्सकों को कथित रूप से धमकाने और चिकित्सा सेवाओं को प्रभावित करने वाली भीड़ के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
उन्होंने अस्पतालों में चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नये दिशा-निर्देश और नियम लाने का भी वादा किया।
हालांकि, चिकित्सक नरूला की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए हड़ताल को जारी रखे हुए हैं।
भाषा
प्रचेता संतोष
संतोष

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