भारत में 2015 के मुकाबले 2023 में टीबी के मामलों में 17.7 फीसदी कमी दर्ज की गई : डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट

भारत में 2015 के मुकाबले 2023 में टीबी के मामलों में 17.7 फीसदी कमी दर्ज की गई : डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट

भारत में 2015 के मुकाबले 2023 में टीबी के मामलों में 17.7 फीसदी कमी दर्ज की गई : डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट
Modified Date: November 2, 2024 / 08:05 pm IST
Published Date: November 2, 2024 8:05 pm IST

नयी दिल्ली, दो नवंबर (भाषा) भारत में 2015 के मुकाबले 2023 में टीबी (तपेदिक) के मामलों में 17.7 फीसदी की कमी दर्ज की गई।

स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि 2015 में भारत में प्रति एक लाख आबादी पर जहां टीबी के 237 मामले सामने आए थे, वहीं 2023 में यह संख्या घटकर 195 हो गई।

सूत्रों के मुताबिक, इस अवधि में देश में टीबी के मामलों में 8.3 प्रतिशत की वैश्विक गिरावट से दोगुनी से भी अधिक कमी दर्ज की गई है।

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उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने 29 अक्टूबर को जारी अपनी ‘वैश्विक टीबी रिपोर्ट-2024’ में माना कि भारत ने 2015 के बाद से टीबी के मरीजों की पहचान करने में उल्लेखनीय प्रगति की है।

इस संबंध में एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘‘2023 में भारत में टीबी के अनुमानित 27 लाख मरीज थे, जिनमें से 25.1 लाख की पहचान कर उनका इलाज किया गया। इससे भारत में उपचारित मरीजों की संख्या 2015 में 72 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 89 फीसदी हो गई।’’

स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में भारत में टीबी से मौत के मामलों में लगातार गिरावट आने की बात कही गई है। इसमें कहा गया कि 2015 में देश में प्रति एक लाख आबादी पर टीबी से 28 मौतें दर्ज की गई थीं और 2023 में यह संख्या घटकर 21.4 हो गई।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने लगातार वित्तपोषण के जरिये राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को मजबूत किया है और उसका दायरा बढ़ाया है।

उन्होंने बताया कि टीबी उन्मूलन के लिए बजट आवंटन में ऐतिहासिक 5.3 गुना वृद्धि देखी गई है, जो 2015 में 640 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 3400 करोड़ रुपये हो गया।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के लिए अधिकांश धन सरकारी संसाधनों से आता है। इसमें कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत अत्याधुनिक आणविक निदान उपकरण पेश करने, नयी एवं अधिक प्रभावशाली उपचार पद्धतियां विकसित करने और सभी टीबी मरीजों को मुफ्त जांच, निदान तथा उपचार प्रदान करने में सफल रहा है।

भाषा पारुल नेत्रपाल

नेत्रपाल


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