मध्य एशिया के लिए भारत विश्वसनीय विकास साझेदार: जयशंकर

मध्य एशिया के लिए भारत विश्वसनीय विकास साझेदार: जयशंकर

मध्य एशिया के लिए भारत विश्वसनीय विकास साझेदार: जयशंकर
Modified Date: June 6, 2025 / 09:58 pm IST
Published Date: June 6, 2025 9:58 pm IST

नयी दिल्ली, छह जून (भाषा) भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद उसके साथ खड़े रहने के लिए मध्य एशियाई देशों की शुक्रवार को सराहना की और कहा कि वह कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान के लिए एक ‘विश्वसनीय विकास भागीदार’ होगा।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-मध्य एशिया वार्ता में अपने संबोधन में कहा कि भारत इन पांचों देशों के साथ संपर्क, व्यापार, पर्यटन और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का इच्छुक है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात की सराहना करता हूं कि आपके देश भारत के साथ खड़े रहे और पहलगाम में अप्रैल में हुए आतंकी हमले की निंदा की।’’

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जयशंकर ने कहा कि भारत मध्य एशिया के साथ अपने सदियों पुराने सभ्यतागत और सांस्कृतिक संबंधों को ‘गहराई से संजोए हुए है’।

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि जुलाई 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की क्षेत्र के सभी पांच देशों की लगातार यात्राओं के बाद भारत और मध्य एशिया के बीच सहयोग को ‘काफी बढ़ावा’ मिला है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत आप सभी के लिए एक विश्वसनीय विकास साझेदार बना हुआ है।’ उन्होंने कहा कि पिछले दशक में व्यापार, आर्थिक और निवेश संबंध काफी मजबूत हुए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आज हम अनेक सीधी उड़ानों से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं। हमारी बढ़ी हुई कनेक्टिविटी से दोनों तरफ से पर्यटन और व्यवसाय में वृद्धि हुई है।’

जयशंकर ने कहा कि भारत और मध्य एशियाई देश व्यापार और निवेश, रक्षा, क्षेत्रीय संपर्क, सुरक्षा और नयी एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

जनवरी 2019 में समरकंद में शुरू की गई भारत-मध्य एशिया वार्ता विदेश मंत्रियों की एक बैठक है। यह भारत और मध्य एशिया के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करती है।

दूसरी बैठक अक्टूबर 2020 में डिजिटल तरीके से हुई और उसमें क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद निरोध और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया।

तीसरी बैठक दिसंबर 2021 में नयी दिल्ली में हुई और उसमें भारत और मध्य एशिया के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ करने के लिए कनेक्टिविटी पर जोर दिया गया।

भाषा

अमित सुभाष

सुभाष


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