Rajnath Singh: गलवान और तवांग में सेना की बहादुरी पर रक्षामंत्री राजनाथ ने कही ये बात, जिसकी हर तरफ हो रही जमकर तारीफ

Rajnath Singh: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि गलवान घाटी संघर्ष और अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हालिया गतिरोध....

Rajnath Singh: गलवान और तवांग में सेना की बहादुरी पर रक्षामंत्री राजनाथ ने कही ये बात, जिसकी हर तरफ हो रही जमकर तारीफ

Rajnath Singh talks to District Magistrates amid heavy rains in UP

Modified Date: December 17, 2022 / 05:07 pm IST
Published Date: December 17, 2022 3:16 pm IST

नई दिल्ली। Rajnath Singh: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि गलवान घाटी संघर्ष और अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हालिया गतिरोध के दौरान भारतीय सैनिकों ने जिस बहादुरी और साहस का प्रदर्शन किया है, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) में एक कार्यक्रम के दौरान संबोधन में सिंह ने यह बयान दिया। सिंह का यह बयान चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर राहुल गांधी के बयान के एक दिन बाद आया है, जिसमें कांग्रेस नेता ने सरकार पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन द्वारा उत्पन्न खतरे को कम करके आंकने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार ‘‘सो रही है’’ और स्थिति को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।

रक्षा मंत्री ने गांधी पर चीन के साथ सीमा विवाद से निपटने में सरकार की मंशा पर ‘‘संदेह’’ करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधा और कहा कि ‘‘झूठ’’ के आधार पर राजनीति नहीं की जा सकती है। सिंह ने कहा, ‘‘चाहे वह गलवान हो या तवांग, सशस्त्र बलों ने जिस तरह से बहादुरी और वीरता का प्रदर्शन किया, उसके लिए उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम है।’’ राजनाथ ने कहा, ‘‘हमने विपक्ष के किसी भी नेता की मंशा पर कभी सवाल नहीं उठाया, हमने केवल नीतियों के आधार पर बहस की है। राजनीति सच्चाई पर आधारित होनी चाहिए। लंबे समय तक झूठ के आधार पर राजनीति नहीं की जा सकती है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘समाज को सही दिशा में ले जाने की प्रक्रिया को ‘राजनीति’ कहा जाता है। हमेशा किसी की मंशा पर संदेह करने का कारण मेरी समझ में नहीं आता।’’ भारतीय और चीनी सैनिक के बीच नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में ताजा संघर्ष हुआ, जो जून 2020 में गलवान घाटी में घातक झड़प के बाद इस तरह की पहली बड़ी घटना थी जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष रहे हैं। अपनी टिप्पणी में सिंह ने यह भी कहा कि भारत विश्व के कल्याण और समृद्धि के लिए एक महाशक्ति बनने की इच्छा रखता है और इसका किसी भी देश की एक इंच भूमि पर कब्जा करने का कोई इरादा नहीं है। यह टिप्पणी सीमाओं पर चीन के आक्रामक व्यवहार के संदर्भ में थी। उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं कह रहा हूं कि हम एक महाशक्ति बनने की आकांक्षा रखते हैं, तो यह कभी नहीं समझा जाना चाहिए कि हम दुनिया के देशों पर हावी होना चाहते हैं। हमारा किसी देश की एक इंच भी जमीन पर कब्जा करने का कोई इरादा नहीं है।’’

सिंह ने कहा, ‘‘अगर हम एक महाशक्ति बनना चाहते हैं, तो हम विश्व कल्याण और समृद्धि के लिए एक महाशक्ति बनना चाहते हैं। दुनिया हमारा परिवार है।’’ रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि आजादी के समय भारत की अर्थव्यवस्था छह-सात बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक थी और जब चीन 1949 की क्रांति के बाद नयी व्यवस्था का गवाह बना तब उसकी जीडीपी भारत से कम थी। उन्होंने कहा कि हालांकि भारत और चीन 1980 तक साथ-साथ चलते रहे, लेकिन पड़ोसी देश आर्थिक सुधारों के जरिए आगे बढ़ा। उन्होंने कहा, ‘‘1991 में हमारे देश में भी आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई थी। लेकिन चीन ने कम समय में इतनी लंबी छलांग लगाई है कि उसने अमेरिका को छोड़कर दुनिया के तमाम देशों को विकास की रफ्तार में पीछे छोड़ दिया है।’’ रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘भारत ने 21वीं सदी में शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं की सूची में वापसी की। लेकिन जिस तरह का विकास भारत में होना चाहिए था वह नहीं हुआ।’’ उन्होंने कहा कि 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब विकास के एक नए युग की शुरुआत हुई।

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सिंह ने कहा कि जब मोदी ने सरकार का प्रभार संभाला तब भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक रूप से नौवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हुआ करती थी और और इसका आकार करीब दो ट्रिलियन डॉलर का था। उन्होंने कहा, ‘‘आज भारत की अर्थव्यवस्था पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है और इसका आकार साढ़े तीन ट्रिलियन डॉलर का हो गया है।’’ अपने संबोधन में सिंह ने बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य, शिक्षा, बैंकिंग, व्यापार और निवेश, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और समग्र आर्थिक सुधारों के क्षेत्र में मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की उपलब्धियों को भी गिनाया। उन्होंने कहा, ‘‘2013 का वह समय याद कीजिए, जब निवेश कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने ‘‘फ्रैजाइल फाइव’’ शब्द गढ़ा था, जो दुनिया के वे पांच देश थे जिनकी अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा रही थी। इस ‘फ्रैजाइल फाइव’ देश में तुर्की, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया और भारत थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज भारत इस ‘फ्रैजाइल फाइव’ शब्द की श्रेणी से बाहर निकल आया है और दुनिया की ‘फैबुलस फाइव’ अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है।’’ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्व पटल पर भारत का कद काफी बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अब भारत विश्व मंच पर एजेंडा सेट करने की दिशा में काम कर रहा है।

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इसी के साथ रक्षा मंत्री ने महंगाई समेत उन कुछ समस्याओं के बारे में भी बात की जिनका देश सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और कोविड-19 महामारी तथा यूक्रेन संघर्ष के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला एवं रसद आपूर्ति की बाधाओं की वजह से मुद्रास्फीति बढ़ी है। सिंह ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति की समस्या एक प्रमुख मुद्दे के रूप में हमारे सामने है। वास्तव में, जब यूक्रेन संघर्ष हमारे सामने आया था, तब दुनिया कोविड-19 के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और रसद बाधाओं से पूरी तरह से उबर नहीं पाई थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कारण जो भी हो, अगर समस्या हमारे सामने है तो उसका समाधान हमें ही खोजना होगा। भारत ही नहीं पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था बहुत मुश्किल दौर से गुजर रही है, लेकिन अगर आप देखें तो अन्य प्रमुख देशों की तुलना में भारत में मुद्रास्फीति कम है।’’

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