भारत के घरेलू बाजार में अब भी उपग्रह प्रक्षेपण की पर्याप्त मांग नहीं : इसरो प्रमुख

भारत के घरेलू बाजार में अब भी उपग्रह प्रक्षेपण की पर्याप्त मांग नहीं : इसरो प्रमुख

भारत के घरेलू बाजार में अब भी उपग्रह प्रक्षेपण की पर्याप्त मांग नहीं : इसरो प्रमुख
Modified Date: June 26, 2024 / 06:22 pm IST
Published Date: June 26, 2024 6:22 pm IST

नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस.सोमनाथ ने बुधवार को कहा कि भारत के उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में अब तक पर्याप्त मांग नहीं है लेकिन उपग्रह प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर अधिक काम कर मांग में वृद्धि की जा सकती है।

इंडिया स्पेस कांग्रेस-2024 को संबोधित करते हुए सोमनाथ ने कहा कि बड़ी कंपनियां अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रवेश करने को इच्छुक हैं लेकिन लाभ और मांग पैदा होने को लेकर उनकी चिंताएं हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ जब मैं सुविधाएं स्थापित करने के इच्छुक उद्योगों में से कई से बात करता हूं तो वे सभी इसके लिए तैयार हैं। लेकिन वे पूछ रहे हैं कि वे कब तक मुनाफे पर आएंगे और मांग कहां है ताकि वे सुरक्षित रूप से इसमें निवेश कर सकें। मुझे लगता है कि यह एक बड़ा सवाल है।’’

 ⁠

प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने बताया, ‘‘बड़े परियोजनाओं से जुड़ने के लिए निवेशकों को राजी करने में यह सबसे बड़ी चुनौती है।’’

इंडिया स्पेस कांग्रेस-2024 से इतर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सोमनाथ ने कहा, ‘‘हमें और घरेलू मांग पैदा करने की जरूरत है। घरेलू मांग पर्याप्त नहीं है। इस दिशा में हम सभी काम कर रहे हैं। मांग उपयोगकर्ता की ओर से आएगी, संचार क्षेत्र से आएगी जिसमें निश्चित तौर पर बड़े उपग्रह निर्माता शामिल हैं।’’

इसरो प्रमुख ने कहा, ‘‘ हम कक्षा के ऐसे हिस्से और ‘फ्रीक्वेंसी’ तलाश करना चाहेंगे जिन्हें उद्योग को उपग्रह और प्रक्षेपण यान बनाने के लिए आवंटित किया जा सके। यह आंतरिक मांग पैदा करने की दिशा में पहला कदम है। इनस्पेस ने पहले ही एक नया पृथ्वी अवलोकन मंडल (उपग्रहों की समन्यवित श्रृंखला) बनाने के लिए वित्तपोषण की योजना की घोषणा की है। यह फिर से आंतरिक मांग पैदा करने की दिशा में एक और कदम है।’’

उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष तक पहुंचने का खर्च उल्लेखनीय रूप से कम हुआ है और खासतौर पर स्पेसएक्स की वजह से। लेकिन भारत के प्रक्षेपण यान की लागत में उस तरह की कमी नहीं आई है।

सोमनाथ ने कहा कि लागत में कमी से छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण को बढ़ावा मिलेगा और अंतरिक्ष क्षेत्र नए भागीदारों को आकर्षित करेगा।

इसरो प्रमुख ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमृतकाल के लिए पेश किए गए दृष्टिकोण का संदर्भ दिया जिसमें गगनयान मिशन के तहत अतंरिक्ष में मानव को भेजने से परे 2040 में चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने का लक्ष्य तय किया गया है।

सोमनाथ ने हालांकि स्वीकार किया कि भारत के मौजूदा रॉकेट चंद्रमा तक जाने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य के मानव मिशन और नमूनों को धरती पर लाने के लिए उच्च भार ले जाने में सक्षम रॉकेट का विकास करना आवश्यक है।

इसरो प्रमुख ने कहा, ‘‘जीएसएलवी एमके-III (एलवीएम) सबसे बड़ रॉकेट है जो हमारे पास है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। इसकी मदद से चंद्रमा तक पहुंचने की क्षमता है लेकिन यह वापस नहीं आ सकता। हमें ऐसी क्षमता विकसित करने की जरूरत है जो नमूनों को वापस ला सके और फिर इंसानों को चंद्रमा पर भेज कर उन्हें धरती पर दोबारा उतारा जा सके।’’

भाषा धीरज नरेश

नरेश


लेखक के बारे में