भारत में बिजली क्षेत्र से कार्बन उत्सर्जन में 50 वर्षों में केवल दूसरी बार गिरावट : अध्ययन

भारत में बिजली क्षेत्र से कार्बन उत्सर्जन में 50 वर्षों में केवल दूसरी बार गिरावट : अध्ययन

भारत में बिजली क्षेत्र से कार्बन उत्सर्जन में 50 वर्षों में केवल दूसरी बार गिरावट : अध्ययन
Modified Date: September 18, 2025 / 04:24 pm IST
Published Date: September 18, 2025 4:24 pm IST

नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) भारत में बिजली क्षेत्र से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में इस साल की पहली छमाही में पिछले वर्ष की इसी अ‍वधि के मुकाबले एक फीसदी की, जबकि सालाना आधार पर 0.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। बृहस्पतिवार को जारी एक नये अध्ययन से यह बात सामने आई है।

अध्ययन के मुताबिक, यह पिछले लगभग पांच दशक में बिजली क्षेत्र से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में दर्ज की गई महज दूसरी गिरावट है।

ब्रिटेन स्थित ‘कार्बन ब्रीफ’ के लिए सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) की ओर से किए गए अध्ययन में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों में ऊर्जा क्षेत्र से वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में दर्ज की गई वृद्धि में भारत का लगभग 40 फीसदी योगदान रहा है।

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अध्ययन के अनुसार, साल 2024 में ऊर्जा क्षेत्र से वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भारत की हिस्सेदारी आठ प्रतिशत थी, जबकि देश में दुनिया की 18 फीसदी आबादी रहती है और इसका प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत से काफी कम है।

अध्ययन में कहा गया है कि 2025 की पहली छमाही में भारत में कुल बिजली उत्पादन में 9 टेरावाट प्रति घंटे (टीडब्ल्यूएच) की वृद्धि हुई, लेकिन जीवाश्म ईंधन से बिजली उत्पादन में 29 टीडब्ल्यूएच की गिरावट आई, जबकि सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन 17 टीडब्ल्यूएच, पवन ऊर्जा से 9 टीडब्ल्यूएच, पनबिजली परियोजनाओं से 9 टीडब्ल्यूएच और परमाणु ऊर्जा से 3 टीडब्ल्यूएच बढ़ा।

सीआरईए ने सरकारी डेटा का विश्लेषण किया, जिससे पता चलता है कि जीवाश्म ईंधन से ऊर्जा उत्पादन में 65 फीसदी गिरावट के लिए बिजली की मांग में धीमी वृद्धि जिम्मेदार है, जबकि 20 प्रतिशत कमी गैर-जलविद्युत स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन में वृद्धि और 15 प्रतिशत कमी अधिक जलविद्युत उत्पादन के कारण आई।

अध्ययन के मुताबिक, कम तापमान, भरपूर बारिश और औद्योगिक गतिविधियों में कमी ने बिजली की खपत पर अंकुश लगाया। मार्च से मई 2025 तक, सामान्य से 42 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई, जिससे जलविद्युत उत्पादन में वृद्धि हुई।

भाषा पारुल अविनाश

अविनाश


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