दंड कानूनों में आतंकवाद की परिभाषाओं पर भरोसा कर बीमा दावों को नकारा नहीं जा सकता: न्यायालय

दंड कानूनों में आतंकवाद की परिभाषाओं पर भरोसा कर बीमा दावों को नकारा नहीं जा सकता: न्यायालय

दंड कानूनों में आतंकवाद की परिभाषाओं पर भरोसा कर बीमा दावों को नकारा नहीं जा सकता: न्यायालय
Modified Date: November 29, 2022 / 08:22 pm IST
Published Date: May 3, 2022 1:14 am IST

नयी दिल्ली, दो मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि बीमा दावों को खारिज करने के लिए बीमा कंपनियों सहित पक्षकार विभिन्न दंड कानूनों में आतंकवाद की परिभाषा पर भरोसा नहीं जता सकते, बल्कि ये पॉलिसी में दी गयी परिभाषा से शासित होंगे।

यह फैसला झारखंड की एक कंपनी नरसिंह इस्पात लिमिटेड की याचिका पर आई है, जिसके बीमा दावों को ‘स्टैंडर्ड फायर एंड स्पेशल पेरिल्स पॉलिसी’ के तहत ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने आतंकवाद के कारण हुए नुकसान के संदर्भ में ‘अपवाद उपबंध’ का सहारा लेकर खारिज कर दिया था।

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) ने बीमा दावों को खारिज करने के निर्णय को बरकरार रखा था, जिसने विभिन्न दंड कानूनों के तहत दिये गये ‘आतंकवाद’ की परिभाषाओं का उल्लेख किया था।

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न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने एनसीडीआरसी के निर्णय को दरकिनार कर दिया और बीमित कंपनी की शिकायत को बहाल करते हुए बीमा कंपनी को आज से एक माह के भीतर आयोग की रजिस्ट्री में 89 लाख रुपये जमा करने का आदेश भी दिया।

भाषा सुरेश सुभाष

सुभाष


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