आईएनएसवी कौंडिन्य ने ओमान की अपनी पहली यात्रा के लिए प्रस्थान किया

आईएनएसवी कौंडिन्य ने ओमान की अपनी पहली यात्रा के लिए प्रस्थान किया

आईएनएसवी कौंडिन्य ने ओमान की अपनी पहली यात्रा के लिए प्रस्थान किया
Modified Date: December 29, 2025 / 05:56 pm IST
Published Date: December 29, 2025 5:56 pm IST

पोरबंदर, 29 दिसंबर (भाषा) पारंपरिक तकनीकों से निर्मित नौसेना का पहला जहाज, आईएनएसवी कौंडिन्य सोमवार को गुजरात के पोरबंदर से ओमान के मस्कट के लिए अपनी पहली समुद्री यात्रा पर रवाना हुआ। रक्षा मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी।

रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक यह ऐतिहासिक अभियान भारत की प्राचीन समुद्री विरासत को पुनर्जीवित करने, उसे समझने और उसका जश्न मनाने के प्रयासों के तहत एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह एक जीवंत समुद्री यात्रा के माध्यम से संभव हो सका है।

नौसेना की पश्चिमी कमान के ध्वज अधिकारी कमांडिंग-इन-चीफ, वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन ने भारत में ओमान सल्तनत के राजदूत ईसा सालेह अल शिबानी की मौजूदगी में आईएनएसवी कौंडिन्य जहाज को औपचारिक रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

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रक्षा मंत्रालय ने बताया कि प्राचीन भारतीय जहाजों के चित्रण से प्रेरित और पूरी तरह से पारंपरिक सिलाई-तख्ता तकनीक का उपयोग करके निर्मित किया गया आईएनएसवी कौंडिन्य इतिहास, शिल्प कौशल और आधुनिक नौसैनिक विशेषज्ञता का एक दुर्लभ संगम प्रस्तुत करता है।

करीब 65 फुट लंबे आईएनएसवी कौंडिन्य का निर्माण पारंपरिक सिलाई वाली जहाज निर्माण तकनीकों का उपयोग करके किया गया है, जिसमें प्राकृतिक सामग्रियों और कई शताब्दियों पुरानी विधियों का प्रयोग किया गया है।

विज्ञप्ति के अनुसार आईएनएसवी कौंडिन्य पर सवार कुल 18 नाविक 1,400 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे और समुद्र में 15 दिनों के बाद ओमान के तट पर पहुंचेंगे।

यह यात्रा उन प्राचीन समुद्री मार्गों का पुनः अनुसरण करती है जो कभी भारत के पश्चिमी तट को ओमान से जोड़ते थे। इन समुद्री मार्गों से हिंद महासागर के पार व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता था।

आईएनएसवी कौंडिन्य की यात्रा भारत के सभ्यतागत समुद्री दृष्टिकोण और हिंद महासागर क्षेत्र में एक जिम्मेदार तथा सांस्कृतिक रूप से समृद्ध समुद्री राष्ट्र के रूप में इसकी भूमिका का प्रमाण है।

भाषा रवि कांत रवि कांत माधव

माधव


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